शमीम शर्मा
पता नहीं क्या जादू हो रहा है कि जितने दुधारू पशु हैं, उससे कहीं ज़्यादा दूध रोजाना बाजारों में पहुंच रहा है। दूध से ज्यादा डिब्बाबंद घी-दही बिक रहा है। इतनी मधुमक्खियां नहीं हैं कि जितना शहद मार्केट में धड़ल्ले से बिक रहा है। बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने शहद के विज्ञापन में करोड़ों फूंक रही हैं। पता नहीं हमारे इंस्पेक्टरों की टीम कहां व्यस्त है जो नकली-असली उत्पादन पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। पशु अधिकारों पर इतना दया का प्रवचन हो रहा है परन्तु पशु पालकों और रक्षकों की फौज एवं कानून के बावजूद गाय, सुअर, बकरे-मुर्गे रोजाना जान गंवा रहे हैं।
मेरे एक मित्र हैं जो मेरे घर आते ही पालतू कुत्ते को बंधा देख भाषण प्रारम्भ कर देते हैं कि आप अपने कुत्ते को बांधते क्यों हो? वे मुझे पशुओं के प्रति जुल्मी और असंवेदनशील करार देते हैं। मेरा मन करता है कि मैं उनसे पूछ लूं कि जब आप मुर्गे-बकरे कटवा कर लाते हो और खाते हो तो क्या वह आपका पशुओं के प्रति प्यार है? मीट-मांस हम किसी जानवर का भी खायें पर जिस भी पशु का खा रहे हैं, वह किसी न किसी का तो बच्चा है जिसे निश्चित ही उसकी मां ने लाड़-प्यार से पाला होगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मां बछिया की है या मेमने की या सुअर के बच्चे की। यह निश्चित है कि हम मांस के टुकड़ों के साथ किसी न किसी मां की ममता और मोहब्बत को भी चबा रहे होते हैं।
दरअसल पशु श्ाब्द पाश से बना है। पाश यानी रस्सी। पशुओं को बांधा ही जाता है। घरों में गाय-भैंस हमेशा बंधी पाई जाती हैं। राजस्थान में ऊंट बंधे मिलते हैं। पालतू कुत्ते भी इसलिये बांधने पड़ते हैं कि आने वालों पर न झपट पड़ें। मनुष्य भी मोहपाश में बंधा है। कहीं वह परम्पराओं और अनुशासन की रस्सियों में जकड़ा है। यदि ऐसा न हो तो समाज में उपद्रवों के सिवा कुछ नहीं बचेगा।
बलि बकरे की दी जाती है, शेरों की नहीं क्योंकि बकरों के सामने आदमी शेर बन जाता है। इंसान को यह कब समझ आयेगा कि खून तो खून है। इंसान की समझ बस इतनी-सी है कि अगर उसे जानवर कहा जाये तो नाराज हो जाता है और अगर शेर कहें तो बल्लियों उछलता है। टाइम चुनावों का हो तो अच्छे-अच्छे शेर भी पालतू जानवर की तरह आचरण करने लगते हैं।
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एक बर की बात है शहद के फायदे गिनाये पाच्छै मास्टर सुरजा टाबरां तैं बोल्या अक न्यूं बताओ दो चम्मच रोज शहद की खाये बाद के होवैगा? एक अलबादी टाब्बर नत्थू खड़्या होकै बोल्या— जी शीशी खतम हो ज्यैगी अर नई ल्याणी पड़ैगी।