ऐसे वक्त में जबकि कोरोना महामारी की दूसरी लहर द्वारा दिये जख्म अभी सूखे भी नहीं हैं, कोरोना विषाणु के एक नये रूप के प्रसार के मामले सामने आए हैं। जबकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ देश में तीसरी लहर के आने की आशंका जता रहे हैं तो बुधवार को देश में आये डेल्टा प्लस वायरस के चालीस मामलों ने हर शख्स के माथे पर चिंता की लकीरें उभार दी हैं, जिसे तीसरी लहर के खतरे की घंटी के रूप में देखा जा रहा है। चिंता की बात यह भी है कि ये मामले कोरोना की पिछली लहरों से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र व केरल समेत मध्यप्रदेश आदि में पाये गये हैं। सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग संक्रमितों के बाबत, उनकी यात्रा के विवरण, उनके पिछली बार संक्रमित होने तथा वैक्सीन लेने की स्थिति की जानकारी जुटा रहा है। दरअसल, चिंता इसलिए भी है कि डबल म्यूटेंट यानी डेल्टा वेरिएंट पहले महाराष्ट्र में ही मिला था। निस्संदेह हर नये वेरिएंट को खतरे व चुनौती के रूप में देखा जाना चाहिए। यह वायरस अधिक संक्रमण क्षमता के चलते ही लगातार म्यूटेंट कर रहा है, जिसके चलते देश में दूसरी घातक लहर का सामना किया गया था। वैसे कहा जा रहा है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट का पहला मामला यूरोप में पाया गया और अब अमेरिका व रूस समेत कई देशों में इसका प्रभाव है। फिर भी इसकी उत्पत्ति के बारे में ठोस जानकारी जुटाना जरूरी है। इसके बारे में सावधानी से अध्ययन करना भी जरूरी है। तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच वेरिएंट के संक्रमण और मरीजों पर होने वाले प्रभाव का तेजी से अध्ययन करना भी जरूरी है। हालांकि, फिलहाल इस नये वायरस के संक्रमण में तीव्रता की पर्याप्त जानकारी सामने नहीं आयी है लेकिन आने वाले दिनों में उम्मीद की जा रही है कि इस वेरिएंट की संक्रमण की तीव्रता की ठोस जानकारी सामने आ सकेगी। अभी इस सवाल का जवाब भी तलाशा जाना है कि इस वेरिएंट पर हमारी वैक्सीन कितनी कारगर है और वैक्सीन से मिलने वाली इम्यूनिटी किस हद तक मिल पाती है।
हालांकि, अभी कोई ठोस वजह नहीं है कि नये डेल्टा प्लस वेरिएंट को बहुत घातक ही मान लिया जाये। यह भी हकीकत है कि हम वायरस में होने वाले बदलावों को तो नहीं रोक सकते लेकिन वायरस में हुए बदलावों को समझने की जरूरत है। बेहद सतर्कता व सावधानी से किये गये अध्ययन से ही सही तस्वीर सामने आ पायेगी। तभी पता लगेगा कि यह डेल्टा वेरिएंट से कितना अलग है। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, जर्मनी, कनाडा, जापान आदि दुनिया के करीब दस देशों में पाये डेल्टा प्लस वेरिएंट के नमूने जीनोम सीक्वेंसिंग के लिये भेजे गये हैं। बहरहाल, भारत में इसे तीसरी लहर की दस्तक के रूप में देखते हुए सतर्कता और कुशल प्रबंधन से मुकाबला करने की जरूरत है। खासकर नये वायरस की चिंताओं को देखते हुए प्रत्येक मामले का नोटिस लेने, संक्रमित व उसके संपर्कों की निगरानी करने तथा समय रहते पर्याप्त इलाज करने की जरूरत है। संक्रमित लोगों को पहचान करके उन्हें तुरंत पृथकवास में भेजा जाना चाहिए। साथ ही इस संक्रमण से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययन के निष्कर्ष तुरंत सार्वजनिक किये जायें ताकि समय रहते देश इससे लड़ाई के लिये तैयार हो सके। हमें दूसरी लहर के दौरान हुई चूकों से सबक लेते हुए अपनी आगे की तैयारी करने की जरूरत है ताकि हम पिछली गलतियों को फिर न दोहराएं। साथ ही लोगों को जागरूक करने की जरूरत है कि वे सुरक्षित दूरी, मास्क और कोविड से बचाव के पहले बताये गये उपायों का सख्ती से पालन करें। शासन-प्रशासन के स्तर पर विशेष सतर्कता की जरूरत है। साथ ही अंतिम सुरक्षा कवच टीकाकरण में और तेजी लाये जाने की जरूरत है। यद्यपि केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीन की कमान अपने हाथ में लेने के बाद टीकाकरण अभियान में तेजी आयी है, लेकिन इसे और तेज करने की जरूरत है। हालांकि, सवा अरब से ज्यादा आबादी वाले देश में संपूर्ण टीकाकरण करना अपने आप में बड़ी चुनौती है।