चंडीगढ़, 19 जून (ट्रिन्यू)
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार किसानों की कमर तोड़ने का कोई अवसर छोड़ना नहीं चाहती। उसकी कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है। बाजरा किसानों के लिए जारी नए फरमान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि परंपरागत फसलों को राज्य में खत्म करने की साजिश रची जा रही है। पहले धान के स्थान पर जौ-बाजरा लगाने को कहा गया, अब बाजरे की फसल न लगाने को कहा जा रहा है।
शनिवार को चंडीगढ़ से जारी बयान में सैलजा ने कहा कि आखिर परंपरागत किसान कहां जाएगा। क्या सरकार ने किसानों को प्रयोगशाला समझ लिया है। सतलुज-यमुना संपर्क नहर का पानी लाने की बात सरकार क्यों नहीं कर रही। सिंचाई जल कम है, भूमिगत जल का स्तर घट गया तो जिम्मेदार किसान को क्यों ठहराया जा रहा है। ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना से बाजरे की फसल को बाहर करके सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि समस्या समाधान में वह सक्षम नहीं। उसे केवल फरमान जारी करने की सनक है। समस्या आए, चुनौती आए तो कभी किसान, कभी मजदूर-बेरोजगार- दुकानदार को उसके हाल पर छोड़ कर सरकार मुंह छिपा लेती है। उन्होंने कहा कि राज्य की ढाई करोड़ जनता गवाह है कि कोरोना काल में पूरी राज्य व केंद्र सरकार पटल से गायब हो गई थी। लाखों मरीजों व उनके परिजनों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया था। हालात सामान्य होते ही सत्ताधारी दल के नेता बेशर्मी से इस मुद्रा में सामने आ खड़े हुए कि जनता का उनसे बड़ा रक्षक और हितैषी कोई नहीं। कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार अब बाजरे की सारी फसल नहीं खरीदेगी।