आठ फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून में सम्पादकीय ‘कुदरत के सबक’ के सन्दर्भ में मानव अपनी असीमित लिप्सा के चलते प्राकृतिक संरचना से निरन्तर छेड़छाड़ कर रहा है। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में विवेक को ताक पर रखकर जुटा हुआ है। किसी भी क्षेत्र में संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है, लेकिन भू-वैज्ञानिकों तथा पर्यावरणविदों की चेतावनी को नजरअंदाज कर के सरकारें संवेदनशील पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े-बड़े बांध बनाने में लगी हुई हैं। इसी का परिणाम है कि साल-दर-साल कोई न कोई प्राकृतिक आपदा से आमजन को अपूरणीय क्षति उठानी पड़ती है।
लाजपत राय गर्ग, पंचकूला
साइबर अपराध
देश में साइबर अपराध के मामले साल-दर-साल बढ़ रहे हैं। अपराध के मामलों में तेजी से हो रही वृद्धि से सरकार की चिंता भी बढ़ गई है। अभी साइबर सेल की कई टीमों के पास एक्सपर्ट की कमी होने और पुलिस की धाक कम होने के कारण अपराध जगत के अपराधी सक्रिय हैं। हाल ही में बिहार के महराजगंज के भाजपा सांसद के बैंक खाते से 90 हजार रुपये निकाल लिये। सरकार को बढ़ते अपराधों की रोकथाम के लिए प्रयास करने होंगे।
कांतिलाल मांडोत, सूरत
प्रकृति से संतुलन
आठ फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘कुदरत के सबक’ उत्तराखंड में चमोली में ग्लेशियर के खिसकने से जो तबाही हुई, उसका विश्लेषण करने वाला था। यह सब प्रकृति का जरूरत से ज्यादा दोहन करने का नतीजा है। इस प्राकृतिक विपदा से हमें सबक सीखना चाहिए। पर्वतों पर अनावश्यक छेड़छाड़ रोकनी चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक