चंडीगढ़, 22 जून (ट्रिन्यू)
हरियाणा का प्रमुख विपक्षी दल होने के बावजूद कांग्रेस ने निकाय चुनावों से खुद को दूर रखा। पार्टी ने सिम्बल पर नगर परिषद और पालिका के चुनाव नहीं लड़े। हालांकि अधिकांश शहरों में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल, किरण चौधरी, श्रुति चौधरी, धर्म सिंह छोक्कर सहित कई वरिष्ठ नेताओं व विधायकों ने समर्थित उम्मीदवारों के लिए प्रचार भी किया।
चुनाव नतीजों के बाद गठबंधन सरकार द्वारा कांग्रेस पर मैदान छोड़ने के आरोपों और भाजपा-जजपा गठबंधन की जीत के लिए पीठ थपथपाने पर कांग्रेस ने सफाई दी है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान का कहना है कि पालिका और परिषद चुनाव को लेकर कांग्रेस का स्टैंड स्पष्ट था कि पार्टी यह चुनाव नहीं लड़ेगी। ऐसे में कांग्रेस की हार या जीत की बात करने वाले जान बूझकर गलत प्रचार कर रहे हैं। 1-1 वार्ड में कांग्रेस के 4-4, 5-5 कार्यकर्ता चुनाव लड़ रहे थे। क्योंकि कांग्रेस के पास स्थानीय इकाई का चुनाव लड़ने वाले कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है। एक-एक वार्ड से कई-कई कार्यकर्ता चुनाव लड़ने का दम रखते हैं। भाजपा-जजपा या अन्य दलों के पास एक-एक वार्ड में बमुश्किल एक-एक कार्यकर्ता ऐसा है, जो चुनाव लड़ने की स्थिति में है। इसलिए ये पार्टियां बिना किसी संकोच के एक कार्यकर्ता को एक वार्ड का टिकट दे सकती हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस छोटी इकाई के लिए किसी एक कार्यकर्ता को पार्टी का टिकट देकर बाकी कार्यकार्ताओं को नाराज नहीं करना चाहती। इसलिए बहुत सोच समझकर नेतृत्व ने नगरपालिका और नगर परिषद का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया था। साथ ही कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने की पूर्ण आजादी दी थी। इस चुनावी रेस में भाजपा-जजपा अकेली दौड़ रही थी। बावजूद इसके वो क्लीन स्वीप नहीं कर पाई। कांग्रेस और उसके बड़े नेताओं की नजर विधानसभा और लोकसभा पर है। हार-जीत का असली फैसला तभी होगा।