नयी दिल्ली, 17 जून (एजेंसी)
निर्वाचन आयोग ने करीब दो दशक पहले के एक प्रस्ताव पर फिर से अमल करते हुए सरकार से कहा है कि एक से अधिक सीट पर चुनाव लड़ने को प्रतिबंधित करने के लिए कानून में संशोधन हो। यदि ऐसा नहीं हो सके तो भारी जुर्माने का प्रावधान किया जाए। किसी उम्मीदवार के दो सीट पर जीतने की स्थिति में एक को खाली करने पर उस पर उपचुनाव करवाने की मजबूरी उत्पन्न हो जाती है। विधि मंत्रालय में विधायी सचिव के साथ हालिया संवाद में मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने इस चुनाव सुधार पर जोर दिया।
यह प्रस्ताव सबसे पहले 2004 में सामने आया था। निर्वाचन आयोग से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए विधायी विभाग सरकार की नोडल एजेंसी के तौर पर काम करता है। मौजूदा समय के निर्वाचन कानून के मुताबिक, कोई भी उम्मीदवार आम चुनाव या कई सीटों के उपचुनाव या द्विवार्षिक चुनाव में दो अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ सकता है। यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक सीट से निर्वाचित होता है तो वह एक ही क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
वर्ष 1996 में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करके यह व्यवस्था की गई कि कोई भी व्यक्ति एक चुनाव में दो से अधिक सीटों से चुनाव लड़ सकता। इस संशोधन से पहले तक चुनाव लड़ने के लिए सीटों की संख्या की कोई सीमा तय नहीं थी।
निर्वाचन आयोग ने 2004 में यह प्रस्ताव दिया था कि जन प्रतिनिधित्व कानून की कुछ धाराओं में संशोधन किया जाए ताकि कोई भी प्रत्याशी एक समय में दो सीटों पर चुनाव नहीं लड़ सके।
जुर्माने एवं उप चुनाव खर्च वसूली की हो व्यवस्था
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘अगर मौजूदा प्रावधानों को बरकरार रखा जाता है तो फिर ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि उप चुनाव होने पर उस व्यक्ति से पूरा खर्च वूसला जाए जिसके इस्तीफा देने से सीट खाली हुई है।’ यह प्रस्ताव भी दिया गया था कि विधानसभा सीट के उपचुनाव में पांच लाख रुपये और लोकसभा के उपचुनाव में 10 लाख रुपये का जुर्माना लगे। आयोग का कहना है कि इस राशि में उचित ढंग से संशोधन होना चाहिए।