पुष्पा गिरिमाजी
एक मित्र के यहां समारोह में एक महिला से मुलाकात हुई जिसने बताया कि वह डायरेक्ट सेलिंग के माध्यम से कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बेचती हैं। उसने उन उत्पादों को बेहद उम्दा बताया। मेरे कुछ मित्रों ने भी इस बात की ताकीद कि वे इन्हें इस्तेमाल कर चुके हैं। इसलिए मैंने कुछ फेस क्रीम आॅर्डर कर दी, हालांकि वे महंगी थीं। लेकिन जब वे क्रीम मुझे प्राप्त हुईं तो एक बॉटल की सील खुली थी तथा उसमें भरी हुई क्रीम में दुर्गंध भी थी। मैंने इस बारे में विक्रेता से संपर्क किया तो उन्होंने कंपनी से बात कर क्रीम वापस करवाने का भरोसा दिया। लेकिन एक माह से भी ज्यादा हो गया उनकी ओर से कोई रेस्पांस नहीं आया। इस मामले में क्योंकि मैंने किसी दुकान से, आॅफलाइन या ऑनलाइन तरीके से, प्रोडक्ट नहीं खरीदा, बल्कि एक व्यक्ति या डायरेक्ट सेलर से खरीदा है तो क्या ऐसे में मैं अपनी यह शिकायत कंज्यूमर कोर्ट में दायर कर सकती हूं? क्या इस तरह का लेन-देन उपभोक्ता संरक्षण कानून के दायरे में आता है?
हां, शिकायत की जा सकती है। उपभोक्ता संरक्षण कानून के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति जिसने मानो कोई वस्तु खरीदी या फिर कोई सेवा प्राप्त की अथवा हायर की तो वह उपभोक्ता है। और एक उपभोक्ता को न केवल गलत व्यापार व्यवहारों से बल्कि दोषपूर्ण, असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं में कमी पाये जाने की स्थिति में भी संरक्षण प्राप्त करने का हक है। उपभोक्ता को कानून के तहत गठित कंज्यूमर कोर्ट्स के माध्यम से अपनी शिकायत के निवारण का अधिकार है। यही नहीं, उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 में उपभोक्ता की परिभाषा में खासतौर पर डायरेक्ट सेलिंग और मल्टी लेवल मार्केटिंग के जरिये खरीदारी करने वाले लोग शामिल हैं। कंज्यूमर की परिभाषा देने के बाद, उक्त कानून व्याख्या करता है कि किसी चीज को खरीदना और कोई सेवा प्राप्त करना अथवा किराये पर लेना जैसी धारणाओं में आॅनलाइन व आॅफलाइन लेन-देन शामिल हैं, भले ही वे ई-शॉपिंग से हों, टेली शॉपिंग से हों, डायरेक्ट सेलिंग से हों अथवा मल्टी लेवल मार्केंटिंग के जरिये किये गये हों। आप उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत पूरी तरह संरक्षित हो तथा कंज्यूमर कोर्ट के जरिये रिप्लेसमेंट, रिफंड, मुआवजा या लागत की मांग कर सकते हैं। लेकिन मौजूदा मामले में पहले तो आपको उक्त कॉस्मेटिक सामान विक्रेता से उसकी डायरेक्ट सेलिंग इकाई के ग्रीवेंस रेड्रेस अधिकारी की कांटेक्ट डिटेल मांगनी होंगी तथा उस व्यक्ति को शिकायत लिखकर देनी होगी। आप अपनी शिकायत उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को भी भेज सकते हैं। इस मामले में कंज्यूमर कोर्ट की शरण में अंतिम उपाय के तौर पर ही जायें।
इस तरह की सेल के लिए कोई रजिस्टर्ड खुदरा विक्रेता या दुकानें नहीं हैं, ऐसे में उपभोक्ताओं की सुरक्षा कैसे की जाती है?
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने साल 2016 में डायरेक्ट सेलिंग संस्थानों के रेगुलेशन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश अधिसूचित किये। साथ ही सभी राज्य सरकारों को उन्हें लागू करने और उनके पालन की निगरानी के लिए एक व्यवस्था स्थापित करने के लिए कहा। ऐसे में कई राज्य सरकारों ने उन रेगुलेशन को अधिसूचित किया। बता दें कि पंजाब राज्य ने इन्हें अक्तूबर, 2020 में नोटिफाई किया। इसके मुताबिक, मल्टी लेवल मार्केटिंग करने वाली प्रत्येक कंपनी को उक्त दिशा-निर्देशों का पालन करना था, जिसमें शिकायत निवारण मैकेनिज्म की स्थापना भी शामिल था। पता नहीं जिस कंपनी के प्रोडक्ट आपने खरीदें हैं उसने ऐसा मैकेनिज्म बनाया है
या नहीं।
इसके उपरांत, 28 दिसंबर, 2021 को उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्रालय ने डायरेक्ट सेलिंग के सभी मॉडलों, सीधी बिक्री के जरिये खरीदी या बेची गई सभी वस्तुओं और सेवाओं और डायरेक्ट सेलिंग के सभी मॉडलों में सभी प्रकार के अनुचित व्यापार व्यवहारों को विनियमित करने के लिए विस्तृत नियमों के साथ दिशा-निर्देशों में बदलाव कर दिया। इन्हें उपभोक्ता संरक्षण (प्रत्यक्ष बिक्री) नियम, 2021 कहते हैं जो उपभोक्ताओं को मल्टी लेवल मार्केटिंग एजेंसियों के मामले में किसी भी तरह के फ्रॉड, धोखे या अनुचित व्यापार व्यवहार से बचाने को लेकर हैं। ये डायरेक्ट सेलिंग इकाइयों या डायरेक्ट सेलर्स को डायरेक्ट सेलिंग बिजनेस करने की आड़ में पिरामिड स्कीम या मनी सर्कुलेशन स्कीम को बढ़ावा देने से रोकते हैं। इन नियमों काे लागू करना यकीनी बनाने को राज्य सरकारों को एक तंत्र स्थापित करना जरूरी है। इनके तहत, प्रत्येक डायरेक्ट सेलिंग इकाई को अपनी वेबसाइट पर सभी अनिवार्य जानकारी प्रदान करनी होती है। कानूनी मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स सहित सभी जरूरी अन्य कानूनों, नियमों का पालन भी करना होता है। वहीं उपभोक्ता शिकायतों का तय वक्त में समाधान करने के लिए शिकायत निवारण तंत्र भी बनाना होता है। वहीं संबंधित कंपनी को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन की कन्वर्जेंस प्रोसेस में भी भागीदारी करनी जरूरी है, ताकि उपभोक्ता शिकायतों का समाधान अासानी से हो सके।