चंडीगढ़, 11 जून (ट्रिन्यू)
हरियाणा सरकार द्वारा जल संरक्षण व फसल विविधीकरण के प्रोत्साहन के लिए बीते वर्ष चलाई गई ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना को अपनाते हुए झज्जर जिला के गांव ढाकला के किसानों ने इस बार धान की फसल से तौबा कर ली है। ढाकला के किसानों ने इस बार सामूहिक रूप से अपने खेड़े की 3445 एकड़ भूमि में धान की खेती नहीं करने का निर्णय लिया है।
बीते वर्ष गांव के तीन हजार एकड़ रकबे में धान लगाया गया था। इस बार तो दो किसानों ने स्वयं अपनी फसल स्वयं नष्ट करते हुए कम पानी वाली फसल अपनाने की पहल भी कर दी है। गांव के किसानों का मानना है कि धान में पानी की अधिक खपत से फसल की लागत तो बढ़ती ही है, साथ ही भूजल का भी अत्यधिक दोहन होता है। जबकि अन्य फसलों में कम लागत होने व सरकार की प्रोत्साहन राशि से पैसा और पानी दोनों की बचत होगी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गांव ढाकला के किसानों द्वारा लिए गए इस निर्णय की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस उद्देश्य को लेकर बीते वर्ष ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना आरंभ की गई थी, उसमें सफलता मिलनी आरंभ हो चुकी है। इस वर्ष राज्य में दो लाख एकड़ भूमि को इस योजना के अधीन लाने का लक्ष्य है। गिरते भूजल स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री का कहना है कि आज हरियाणा के 36 खंड डार्कजोन में आ चुके हैं।
बीते वर्ष भी राज्य की 95 हजार एकड़ भूमि में धान की बजाए कम पानी से होने वाली फसलों की खेती की गई थी। प्रदेश में ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत एक लाख 13 हजार 885 किसान अब तक एक लाख 26 हजार 928 हैक्टेयर में धान की बजाए अन्य कम लागत वाली फसलों की खेती कर रहे हैं। गांव ढाकला में धान की फसल नष्ट करने वाले किसान संतराम व जयपाल ने पंचायत की जमीन पट्टे पर लेकर इस बार धान लगाई थी लेकिन जल संरक्षण के प्रति गांव में बनी जागरुकता व हरियाणा सरकार की ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना से उन्होंने अपनी फसल नष्ट करने का निर्णय लिया। इन किसानों के इस कदम की न केवल आस-पास के गांवों में बल्कि राज्य स्तर पर भी चर्चा हो रही है।
रोपना ही चाहें तो डीएसआर से राेपें
सरकार ने प्रदेश के धान उत्पादक किसानों को डीएसआर मशीन द्वारा धान रोपने की सलाह दी है, इससे जहां पानी की बचत होती है वहीं फसल भी दस दिन पहले पककर तैयार होती है। आमतौर पर धान के सीजन में 15 जून से किसान पारम्परिक विधि से धान की पौध तैयार करके अपने-अपने खेतों में रोपाई करते हैं। इस विधि में खेत में पानी भरकर रोपाई की जाती है व रोपाई के बाद भी खेत में पानी बनाए रखना पड़ता है। पंजीकरण अब 25 तक राज्य सरकार ने किसानों की ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के लिए पंजीकरण कराने की अंतिम तिथि 25 जून कर दी है।