दलेर सिंह/हप्र
जींद, 9 जून
यहां की जिला न्यायलय में बुधवार को बीबीपुर गांव निवासी किसान दलबीर की जमानत याचिका को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं मिडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला बतौर अधिवक्ता पेश हुए और किसान की पैरवी की। बहस के बाद अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया, लेकिन बाद दोपहर अदालत ने किसान की जमानत की अर्जी खारिज कर दी।
जिले के बीबीपुर गांव निवासी किसान दलबीर सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के चलते पुलिस ने राजद्रोह जैसे आरोपों एवं फरवरी 2017 में प्रधानमंत्री मोदी पर की गई टिप्पणी करने के आरोप गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। बुधवार को उनके मामले में रणदीप सुरजेवाला ने कोर्ट में केस की पैरवी की। कोर्ट से बाहर आने के बाद सुरेजवाला ने बताया कि दो-दो केसों में किसान यूनियन के नेता दलबीर सिंह को गिरफ्तार किया गया है। हम सब साथियों का ये मानना है कि ये मुख्यमंत्री खट्टर व दुष्यंत चौटाला के अहंकार की पराकाष्ठा है। उन्होंने बताया कि कि 4 साल 3 महीने के बाद किसान यूनियन के नेताओं को गिरफ्तार करना, उन्हें जेल में डालना, उन पर देशद्रोह का केस दर्ज करना, उन पर भावनाएं भड़ाने का मुकदमा दर्ज करना अन्याय है।
उन्होंने बताया कि जब-जब अन्याय होता है, उसका फैसला दो जगह होगा। एक जनता की अदालत में और दूसरा कानून की अदालत में। जनता की अदालत में जनता तो फैसला अवश्य करेगी, लेकिन जनता की अदालत के साथ-साथ आज हमने कानून की अदालत के दरवाजे भी खटखटाए और अदालत में ये कहा कि ये दोनों केस नाजायज हैं और किसान यूनियन के हमारे साथी दलबीर सिंह को फौरी तौर से जमानत मिलनी चाहिए। उनहोंने कहा कि अदालत का जो भी फैसला होगा वह सभी को मान्य होगा। उधर, एडीजे गुरविंदर कौर की अदालत ने दोपहर बाद दोनों जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।
पहले भी की थी किसान नेता की पैरवी
20 साल में यह दूसरा मौका है, जब रणदीप सुरजेवाला खुद अदालत में वकील बनकर पहुंचे। ओमप्रकाश चौटाला के शासन में बिजली बिलों की माफी व अन्य मुद्दों को लेकर वर्ष 2002 में अम्बाला जिले के शहजादपुर चीनी मिल के समक्ष किसानों के प्रदर्शन के दौरान जींद जिले के किसान नेता घासी राम नैन को राजद्रोह के आरोप गिरफ्तार किया गया था। उस मामले में सुरजेवाला ने सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट तक मामले की 13 महीने चली अदालती सुनवाई में मुख्य भूमिका निभाई थी। 25 दिसंबर 2003 को किसान नेता घासी राम नैन रिहा हो पाए थे।