बलिया (उप्र), 31 जनवरी (एजेंसी)
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन को कुछ संतों का भी साथ मिल गया है। दशनामी परम्परा के संन्यासी धर्म सम्राट करपात्री आश्रम के महंत अभिषेक ब्रह्मचारी किसानों के आंदोलन एवं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के समर्थन में खुलकर आ सामने आ गए हैं। करपात्री आश्रम के महंत अभिषेक ब्रह्मचारी ने सामाजिक संस्था युवा चेतना द्वारा जिला मुख्यालय के मालदेपुर मोड़ पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि देश के किसान अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ रहे हैं और ऐसे में संत भी खामोश नहीं रह सकते । उन्होंने कहा कि देश की मौजूदा परिस्थितियों से चिंतित होकर उन्होंने किसान आंदोलन को समर्थन देने का फैसला किया है । ब्रह्मचारी ने कहा कि “देश में गौवंश की हत्या पर पाबन्दी लगाने की मांग को लेकर धर्म सम्राट करपात्री जी एवं संतों ने 7 नवम्बर, 1966 को संसद भवन के सामने धरना दिया था, वह करपात्री जी का ही अनुसरण कर देश हित में किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।’ स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने किसान आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि आज पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है, परंतु मोदी सरकार हठवादी रुख अख्तियार करते हुए नये कृषि कानून को वापस लेने की बजाय किसानों को प्रताड़ित करने में जुटी हुई है। ब्रह्मचारी ने कहा कि युवा चेतना किसानों के साथ पूरी ताकत के साथ खड़ी है।
इस मौके पर युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह ने कहा कि ‘अन्याय के खिलाफ हम गांधी के विचारधारा के बल पर संघर्ष कर रहे हैं और मोदी सरकार गोली के बल पर किसान आंदोलन को दबाना चाहती है, जो हम नहीं होने देंगे।’ सिंह ने कहा कि मोदी सरकार को कृषि बिल वापस लेना होगा। आज पूरा देश किसान नेता राकेश टिकैत के साथ खड़ा है।