चंडीगढ़, 24 फरवरी (ट्रिन्यू)
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि सभी भाषाओं के साहित्यकार समान होते हैं। ऐसे में सरकार द्वारा दी जाने वाली पुरस्कार राशि भी समान होनी चाहिए। हरियाणा की साहित्य अकादमियों को पुरस्कार राशि को लेकर एक समान फॉर्मूला बनाया जाए। अब तक हरियाणा की चारों साहित्य अकादमियां साहित्य के क्षेत्र में अलग-अलग पुरस्कार राशि दे रही हैं। मुख्यमंत्री बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ के टैगोर थियेटर में हरियाणा साहित्य पर्व के अवसर पर बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने हरियाणा संस्कृत अकादमी और पंजाबी साहित्य अकादमी की वेबसाइट व मोबाइल एप्लीकेशन लांच किए। इस मौके पर सीएम ने संस्कृत, हिंदी, पंजाबी व उर्दू भाषा के 138 साहित्यकारों को सम्मानित किया। सम्मान हरियाणा संस्कृत अकादमी, हरियाणा साहित्य अकादमी, हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी, हरियाणा उर्दू अकादमी के अंतर्गत दिए गए। सीएम चारों अकादमियों के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा साहित्यकारों की भूमि रही है, यहां बाबू बालमुकंद गुप्त, हाली पानीपती, दादा लख्मीचंद और बाबा फरीद जैसे साहित्यकार जन्में हैं।
उन्होंने कहा कि इन साहित्यकारों की जन्मभूमि पर साहित्य की दृष्टि से काम करने की जरूरत है। इसी कड़ी में बाबू बालमुकंद गुप्त के पैतृक गांव रेवाड़ी के गुड़ियानी में उनकी हवेली पर सरकारी ई-लाइब्रेरी बनाई जाएगी। इससे युवाओं को साहित्य पढ़ने का मौका मिलेगा।
इस मौके पर सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ़ अमित अग्रवाल ने कहा कि राज्य की सभी अकादमी उत्कृष्ट काम कर रही हैं। समाज के लिए प्रकाश स्तम्भ का काम करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित किया जा रहा है। साहित्यकारों के प्रति मुख्यमंत्री का अगाध प्रेम है। सीएम ने साहित्य पर्व के सफल आयोजन पर डॉ़ अमित अग्रवाल व हरियाणा उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ़ चंद्र त्रिखा की पीठ थपथपाई। इस अवसर पर सीएम के प्रधान सचिव वी़ उमाशंकर, संस्कृत अकादमी के नि डॉ़ दिनेश शास्त्री, ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ़ वीरेंद्र चौहान, पंजाबी साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष गुरविंदर सिंह धमीजा मुख्य रूप से मौजूद रहे।
समाज को जागरूक करने में अहम योगदान
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की आजादी में अलग-अलग वर्ग के बहुत से लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन साहित्यकारों, कवियों, लेखकों, रचनाकारों व पत्रकारों ने समाज को जागरूक करने में अहम योगदान दिया। इससे देशभक्ति आंदोलन को बल मिला और राष्ट्रप्रेम व जनजागरण की भावना आई। मुख्यमंत्री ने नेपोलियन बोनापार्ट का उदाहरण देते हुए कहा कि दो ही ताकतें हैं या तो तलवार की या फिर कलम की। उन्होंने कहा कि साहित्यकार होना अपने आप में सम्मान है। सरकार द्वारा दिए जाने वाले साहित्य सम्मान कोरोना की वजह से नहीं दिए जा सके थे। इस वर्ष साहित्य पर्व मनाकर यह सम्मान दिए हैं।