जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 23 फरवरी
मार्केट कमेटी की नाक के नीचे स्थित शहर की चारा मंडी में सरकारी बाशिंदों की मिलीभगत से किसानों और दूध उत्पादकों को चूना लगाने का खुला खेल खेला जा रहा है। शिकायत होने, शिकायत पर कार्रवाई करने के आदेशों के बावजूद पूरी व्यवस्था में कोई अंतर नहीं पड़ा, जिससे स्पष्ट है कि खेल मोटा खेला जा रहा है।
जानकारी के अनुसार पूरी चारा मंडी कुछ आढ़तियों की मनमर्जी पर निर्भर होकर चली आ रही है। इक्का-दुक्का बोली ही खरीददार और चारा उत्पादक के सामने लगाई जाती है, शेष के दाम बिना बोली करवाये ही किसानों को आढ़ती अपनी मनमर्जी से देते हैं और चारा खरीददार से अपनी मनमर्जी से दाम वसूलते हैं। इस खेल के चलते आढ़तियों और भ्रष्ट कर्मियों की जेब तो भर रही है लेकिन किसानों और दूध उत्पादकों को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ऐसे ही एक मामले में डेयरी संचालक ने सफलतापूर्वक चारा बोली लगा ली, लेकिन जब दूसरी बोली लगाई तो उसकी कीमत पहले से ही 240 रुपये प्रति क्विंटल की दर से लिखी जा चुकी थी, जो डेयरी संचालक द्वारा बोली लगाने पर 300 रुपये तक जा पहुंची। डेयरी संचालक ने 295 रुपये तक बोली दी। ज्यादा बोली देने वाले व्यक्ति को आढ़ती ने संबंधित चारा अलाट कर दिया लेकिन बाद में आढ़ती द्वारा उसकी कीमत 290 रुपये लिखी गई और किसान को बाद में 270 रुपये के दाम ही दिए गए। इस बात का खुलासा करते हुए कांवली डेयरी यूनियन के प्रधान त्रषिपाल ने एसडीएम और डीएमईओ को शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है।
आदेश के बावजूद नहीं लगाये सीसीटीवी कैमरे : शिकायतें मिलने के बाद हाल ही में एसडीएम हितेष कुमार ने चारा मंडी का ओचक निरीक्षण करके वहां की व्यवस्था का अवलोकन करके कई आदेश जारी किए थे।
इनमें मंडी में सीसीटीवी कैमरे लगवाने, चारा की बोली निर्धारित समय पर करवाने और बाकायदा कंप्यूटर एंट्री आदि करने के आदेश दिए थे लेकिन एक पखवाड़े से ज्यादा का समय गुजर जाने के बाद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो पाया।
”चारा मंडी की अव्यवस्थाओं को लेकर लिखित शिकायत कांवला डेयरी यूनियन के प्रधान द्वारा दी गई है, जिस पर कार्रवाई के लिए तुरंत मार्केट कमेटी सचिव को लिखकर जवाब मांगा गया था लेकिन अभी तक कोई जवाब कार्यालय को प्राप्त नहीं हुआ। एसडीएम द्वारा जारी आदेशों की परिपालना के बारे भी कोई जानकारी नहीं है।”
-राधेश्याम शर्मा, डीएमयूई, अम्बाला
”चारा मंडी आढ़तियों के भरोसे ही चल रही है। बोली के समय अकसर कोई सरकारी कारिंदा नहीं होता, आढ़ती मनमर्जी करके केवल अपनी जेबें भर रहे हैं। पूरे मामले की अधिकारियों को शिकायत दे दी गई है, कार्रवाई की प्रतीक्षा है ताकि व्यवस्था में सुधार हो सके।”
-ऋषि पाल, प्रधान, कांवली डेयरी यूनियन