शक्ति वर्मा
नीरु मित्तल ‘नीर’ के कहानी संग्रह ‘रिश्तों की डोर’ की कहानियों में कथा लोक बहुत कुछ उनकी अनुभूतियों का संसार है, परंतु ये अनुभूतियां जितनी उनकी निजी हैं, उतनी ही सामाजिक भी।
संग्रह की सभी कहानियां रिश्तों के छोटे-छोटे सन्दर्भों को लेकर लिखी गई हैं। हर जगह जीने की ललक है। एक-दूसरे की सहायता करने की इच्छा, घर-परिवार को संवारने की, पढ़ाई के लिए प्रेरित करने की इच्छा की कहानियां हैं। घर की चार दीवारी से निकल कर बाहर की दुनिया से कदम से कदम मिलाकर चलने की, कुरीतियों, कुप्रथाओं और कुप्रभावों से निकलकर परिवार की सेवा करने की, परिवार की एकजुटता की कहानियां हैं।
नीरु मित्तल ‘नीर’ ने कहानियों में जनजीवन से पात्रों का चयन किया है। इनमें मानव के सुख-दुख, राग-द्वेष का चित्रण है। इन कहानियों में कहानीकार का निजी जु़ड़ाव नजर आता है। कहानी संग्रह की मुख्य थीम रिश्तों से बंधी हुई है। परिवार के रिश्ते, समाज के रिश्ते , समुदाय के रिश्ते- सभी इन कहानियों में व्यक्त हैं।
‘पुनर्जन्म’ कहानी एक मोटिवेशनल कहानी है। आरती स्कूल में सीढ़ियों से गिर पड़ती है। रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण चलना-फिरना बंद हो जाता है। ह्वील चेयर पर सारी जिंदगी गुजारती है लेकिन हिम्मत नहीं हारती और गोल्ड मेडलिस्ट बनकर प्रोफेसर बन जाती है। फिर वह एक एनजीओ की स्थापना करती है और एक दिव्यांग लड़की को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। ‘निमंत्रण’ में नारी द्वारा संबंधों के विस्तृत दायरों में छटपटाहट व्यक्त की गई है। ‘कैसी मजबूरी’ में गरीबी में पलते रिश्ते और उनके विखंडित होने की दास्तान है। रिश्तों की गठरी को ‘अनजाना रिश्ता’ में दर्शाया गया है कि किस तरह से अपरिचित लोगों से भी आध्यात्मिक संबंध हो सकता है।
पुस्तक : रिश्तों की डोर कहानीकार : नीरु मित्तल ‘नीर’ प्रकाशक : सप्तऋषि पब्लिकेशंस, चंडीगढ़ पृष्ठ : 118 मूल्य : रु. 200.