नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (एजेंसी)
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ की एक उप-योजना के तहत अब तक लगभग चार लाख हेक्टेयर क्षेत्र को प्राकृतिक खेती के तहत लाया गया है और इसे विस्तार देने के लिए नीति आयोग एक रूपरेखा तैयार करेगा। तोमर ने नवाचारी कृषि पर आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाने, उत्पादन लागत कम करने, अच्छी गुणवत्ता और मुनाफा देने वाली खेती आज के वक्त की जरूरत बन चुकी है। आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और गुजरात के कुछ हिस्सों में किसान धीरे-धीरे प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं। इस दिशा में मिली कामयाबी देखने के बाद और किसान भी इससे जुड़ेंगे।
तोमर ने कहा कि नीति आयोग इस कार्यशाला में किसानों, वैज्ञानिकों और कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ विचार-विमर्श कर प्राकृतिक खेती के बारे में एक रूपरेखा तैयार करेगा और कृषि मंत्रालय उसी का अनुसरण करेगा। उन्होंने कहा, ‘कुछ लोगों को ऐसी आशंका हो सकती है कि प्राकृतिक खेती करने से कृषि उत्पादन में गिरावट आ सकती है। ऐसे लोग प्राकृतिक खेती में मिली सफलता से अवगत होने के बाद इसे आसानी से अपना सकते हैं।’
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती से जुड़े कुछ उदाहरणों का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को ‘हतोत्साहित और भ्रमित’ होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के पहले साल में उपज कम होगी, लेकिन उस पर लागत एवं पानी की खपत भी कम रहेगी।