कुरुक्षेत्र (हप्र) : जीवन प्रबंधन ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र का प्रबंधन गीता जी में है। ये उद्गार गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित न्याय और प्रबंधन में गीता जी की भूमिका विषय पर आयोजित सेमिनार को व्यास पीठ से संबोधित करते हुए स्वामी ज्ञानानंद ने प्रकट किए। उन्होंने कहा कि गीता केवल धर्मशास्त्र ही नहीं बल्कि संपूर्ण जीवन शास्त्र है।
गीता हिंदूओं का गौरव ग्रंथ है, आत्मा है लेकिन गीता में जाति और धर्म से ऊपर उठकर संपूर्ण प्राणी मात्र के लिए है। जीओ गीता और गीता ज्ञान संस्थानम का एक ही प्रयास है कि यह दिव्य गीता हर क्षेत्र की पहचान बने।
गीता के प्रत्येक श्लोक में प्रबंधन का सूत्र छिपा हुआ है। सेमिनार को संबोधित करते हुए विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री डा. सुरेंद्र जैन ने अपने संबोधन में कहा कि राम मंदिर का निर्माण गीता प्रबंधन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
कर्मयोग गीता ज्ञान से ही निकलता है। इस अवसर पर गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मारकंडेय आहुजा ने अपने संबोधन में कहा कि गीता एक माध्यम है अक्षुप्त शक्तियों को जागृत करने का। प्रबंधन में गीता का समायोजन है।