नयी दिल्ली, 26 फरवरी (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट बजटीय संसाधनों के बेहतर आवंटन और किसी जाति से ‘क्रीमी लेयर’ एवं ‘गैर-पिछड़े वर्ग’ के लोगों को बाहर करने के लिए 2021 की जातिवार जनगणना कराने को लेकर केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई करने को सहमत हो गया है।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना तथा जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने याचिका पर केंद्र एवं राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को नोटिस जारी करते हुए इस विषय को अन्य लंबित विषयों के साथ संलग्न कर दिया है।
तेलंगाना के सामाजिक कार्यकर्ता एवं याचिकाकर्ता जी मल्लेश यादव की ओर से न्यायालय में कहा गया था कि सरकारें जातिवार सर्वेक्षण के अभाव में पिछड़े वर्गों में प्रत्येक जाति को बजट का आवंटन करने में काफी परेशानी का सामना कर रही हैं। याचिका में कहा गया है कि 1979-80 में गठित मंडल आयोग की शुरूआती सूची में पिछड़ी जातियों और समुदायों की संख्या 3,743 थी।
एनसीबीसी के मुताबिक अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की केंद्रीय सूची में पिछड़ी जातियों की संख्या अब बढ़ कर 2016 में 5,013 हो गई, लेकिन सरकारों ने जातिवार कोई सर्वेक्षण नहीं किया।
इसमें कहा गया है कि प्रावधानों के मुताबिक आरक्षण किसी विशेष जाति के पिछड़े वर्ग के लोगों को दिया जा सकता है, लेकिन उसमें से ‘क्रीमी लेयर’ और ‘गैर-पिछड़े लोगों’ को बाहर करना होगा।