चुनाव के दौरान की राजनीति कोरोना के मामलों में आग में घी का काम कर रही है। पिछली बार भी मध्यप्रदेश में सरकार बन जाने तक, कोरोना को हल्के में लिया गया, जिसका खमियाजा पूरे देश ने सख्त लॉकडाउन के रूप में भुगता। इतना सब कुछ होने के बावजूद, राजनीतिक पार्टियों के लिए, चुनाव का आयोजन कराना, कितना जायज है। एक तरफ नेताओं की रैलियां व चुनाव प्रचार जोरों पर है, वहीं दूसरी तरफ भारत विश्व में कोरोना के मामले में रोज नए रिकार्ड बना रहा है।
अमन जायसवाल, दिल्ली
मदद की जाए
महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। महाराष्ट्र में सरकार लॉकडाउन को लागू करने की योजना बना रही है। लॉकडाउन भले ही लागू हो या न हो लेकिन मजदूर अपने घरों को लौट रहे हैं। रेलवे स्टेशनों में श्रमिकों की भारी भीड़ है। यह एक अच्छा संकेत नहीं है। हमें कोरोना को हराना होगा। लॉकडाउन वायरस को रोकने का एकमात्र समाधान नहीं है। सख्त सावधानियों को ध्यान में रखते हुए, इन श्रमिकों की मदद से विकास का मार्ग जारी रखना होगा।
नरेंद्र कुमार शर्मा, भुजड़ू, जोगिंदर नगर
बच्चों का ख्याल रखना
डॉक्टरों के मुताबिक इस बार कोरोना की गिरफ्त में अधिक बच्चे आ रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में लगभग 2700 बच्चे महामारी की चपेट में आ चुके हैं। डॉक्टरों का मानना है कि इस बार बच्चों में कोरोना के लक्षण ज्यादा दिख रहे हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों की देखभाल ज्यादा सतर्कता से करने की जरूरत है। वहीं दिल्ली व मुंबई के आंकड़े हमें सचेत कर रहे हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों का विशेष ध्यान रखना है। ऐसे में सरकार को इन बच्चों के लिए भी टीका उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
रितिक सविता, दिल्ली