रवि पाठक/निस
कपूरथला, 16 जनवरी
पंजाब में अब सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने वोट बैंक को संभालने और दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी शुरू कर दी है। कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल की नजर हिंदू वोट बैंक पर है तो किसान आंदोलन के कारण राजनीतिक रूप से निशाने पर आयी भाजपा की उम्मीद पूर्ण रूप से हिंदुओं पर ही टिकी है। भाजपा को लगता है कि केवल शहरी हिंदू ही हैं जो कि 2022 में उनकी लाज बचा सकता है। राजनीतिक दलों के लिए यह मजबूरी भी है, क्योंकि 38.49 फीसद हिंदू और 31.94 फीसद अनुसूचित जाति (जिसमें हिंदू और सिख दोनों ही हैं) हमेशा ही सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। तमाम विरोध के बावजूद कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश प्रधान की कुर्सी पर बैठाया और मुख्यमंत्री की कमान एससी वर्ग से आने वाले चरणजीत सिंह चन्नी के हाथों में दी। कांग्रेस ने ओपी सोनी को हिंदू कोटे से उप मुख्यमंत्री जरूर बनाया, लेकिन अब कांग्रेस की चिंता इस बात को लेकर है कि हिंदू वोट बैंक कैप्टन अमरेंद्र के जाने के बाद उनसे छिटक रहा है। चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद अनुसूचित जाति चेहरा भी पार्टी के पास तैयार हो गया है, लेकिन कांग्रेस के पास कोई भी ऐसा हिंदू चेहरा नहीं है जो कि पूरे पंजाब में मान्य है। सुनील जाखड़ जरूर हिंदुओं के मजबूत चेहरे के रूप में है लेकिन वे चुनाव नहीं लड़ रहे। भारत भूषण आशु ने खुद को लुधियाना तक ही सीमित रखा हुआ है। कांग्रेस की चिंता इस बात को लेकर भी है कि प्रमुख प्रतिद्वंद्वी सुखबीर बादल लगातार हिंदुओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं। अकाली दल-बसपा की सरकार में एक अनुसूचित जाति और एक हिंदू उप-मुख्यमंत्री होगा। यह घोषणा अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल पहले ही कर चुके हैं। सुखबीर अब लगातार अपनी घोषणा पर आगे बढ़ने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। नवरात्र में माता चिंतपूर्णी में माथा टेकने के अलावा अकाली दल के प्रधान इन दिनों मंदिरों के चक्कर लगा रहे है। भाजपा से बर्खास्त किए जाने के बाद अकाली दल ने अनिल जोशी को पार्टी में लिया।
भाजपा को हिंदुओं का ही आसरा
भारतीय जनता पार्टी पूर्ण रूप से हिंदुओं और अनुसूचित जाति पर निर्भर है, जो ज्यादातर शहरी हैं। कृषि कानून के विरोध में हो रहे किसान आंदोलन के कारण भाजपा को इस बात की कतई उम्मीद नहीं है कि गांवों में व सिखों में उन्हें तरजीह मिलनी है। यही कारण है कि भाजपा ने अपनी नजर उन 45 सीटों पर लगा रखी है जहां पर 60 फीसद से अधिक हिंदू आबादी है। वहीं, 38 सीटें वह हैं जहां पर 60 फीसदी से अधिक हिंदू और अनुसूचित जाति की आबादी है। भाजपा यह बात अच्छी तरह से समझ रही है। ऐसे में शहरी हिंदू ही उनके लिए आक्सीजन का काम करेगा।