कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 27 मई
प्रदेश सरकार ने अब पशु मेलों का भी निजीकरण कर दिया है। शुक्रवार, 28 मई को इस पर मुहर लग जाएगी। हालांकि विभाग का दावा है कि इससे किसानों को नुकसान होने की बजाय फायदा होगा लेकिन विभिन्न संगठन इसे घाटे का सौदा ही बता रहे हैं। सबसे बड़ी आपत्ति तीन साल पहले हुए संशोधन के बाद पशुओं की बिक्री पर न्यूनतम फीस 1000 रुपये और अधिकतम 4 प्रतिशत के प्रावधान के सख्ती से लागू होने पर है।
मामले के अनुसार पंचायत विकास विभाग के महानिदेशक ने हरियाणा में पशु मेले आयोजित करने के लिए एजेंसी का चयन करने के लिए ई-नीलामी का विज्ञापन गत 7 मई को जारी किया। इसके अनुसार दो साल तक की अवधि के लिए दिए जाने वाले इस टेंडर का आरक्षित मूल्य 9 करोड़ रुपये सालाना (अगले वर्ष दस प्रतिशत की बढ़ोतरी) रखा गया है और इसके लिए 45 लाख रुपये की धरोहर राशि जमा करवानी थी। इसका एक साल तक विस्तार किया जा सकता है जिस पर भी न्यूनतम 10% की बढ़ोतरी होगी। इसके लिए 21 मई तक बोली ऑनलाइन जमा करवानी थी जिसको 28 मई को खोला जाएगा। विभागीय सूत्रों ने बताया कि इसमें 5 एजेंसियों ने बोली जमा करवाई, जिसमें से तीन के कागजात पूरे नहीं है जिसके कारण अब दो ही एजेंसी मैदान में हैं।
कैसे बढ़ेगी पंचायत की आय : मेले के निजीकरण के लिए बनाए गए इस प्रोजेक्ट की पृष्ठभूमि में लिखा गया है कि इसको ग्राम पंचायत की आय बढ़ाने के लिए बनाया जा रहा है लेकिन इससे पंचायतों को कैसे आय होगी, इसका कोई भी प्रावधान पूरे प्रोजेक्ट में नहीं किया हुआ है।
आज होगा एजेंसी का फैसला, खुलेगी बोली : बिढ़ान
पंचायत विकास विभाग के निदेशक रमेश चंद्र बिढ़ान ने कहा कि पांच एजेंसियों ने बोली दी है। जिसमें से तीन एजेंसी के कागजात पूरे नहीं हैं। अब शुक्रवार को बोली खोली जाएगी और दो एजेंसियों में से जिसकी सबसे ज्यादा बोली होगी, उसको ठेका दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार मेले कम लगा पाती है, यदि प्राइवेट एजेंसी मेले लगाएगी तो इनकी संख्या बढ़ेगी और पशुओं के दाम भी बढ़ेंगे। पंचायत की आय कैसे होगी, इसके सवाल पर उन्होंने कहा कि मेले से होने वाली आय पहले सरकार के पास जमा होगी, इसके बाद जिस हिसाब से जिसको देनी है, यह तय किया जाएगा।
सरकार खुद बनाएं स्थाई ढांचा: कड़वासरा
पीपल फोर एनिमल के फतेहाबाद जिले के प्रधान विनोद कड़वासरा का कहना है कि सरकार को निजी एजेंसी को ठेका देने की बजाय पशु मेलों के लिए स्थाई ढांचा तैयार करना चाहिए। पशुओं के साथ क्रूरता न हो, इसके लिए पहले सरकार की जिम्मेदारी थी लेकिन अब यह जिम्मेदारी प्राइवेट एजेंसी पर डाल दी है और प्राइवेट एजेंसी अपना फायदा देखेगी या पशुओं की क्रूरता न हो, यह ध्यान रखेगी, यह सबको पता है।
संयुक्त किसान मोर्चा में उठायेंगे मामला : बूरा
अखिल भारतीय किसान सभा के प्रवक्ता सूबे सिंह बूरा ने कहा कि पशु मेलों का निजीकरण किया गया तो इस मामले को संयुक्त किसान मोर्चा के समक्ष भी उठाया जाएगा और पूरे प्रदेश में इसका विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब तक पशु मेलों में 50 रुपये फीस लगती थी, यदि फीस बढ़ाई है तो इससे किसानों की आय बढ़ने की बजाय घटेगी, जो सरकार के दावों के खिलाफ है।
विभाग ने की तैयारी
पशु मेलों का निजीकरण करने से पूर्व विभाग ने 29 जून, 2018 में पशु मेला नियम (कैटल फेयर रूल्स) के नियम नंबर 3 में संशोधन किया और 31 मार्च, 2017 को पशु मेला अधिनियम (कैटल फेयर एक्ट) में धारा 4-ए को जोड़ा है। नियम 3 पशु मेले का आयोजन प्राइवेट एजेंसी से करवाने और फीस में किए गए संशोधन से संबंधित है जिसके तहत पहले जहां पशु बिक्री पर 50 रुपये फीस ली जाती थी उसको बढ़ाकर अब न्यूनतम एक हजार रुपये कर दिया है और अधिकतम 4 प्रतिशत कर दिया है। इसका अर्थ है कि 25 हजार या इससे कम मूल्य के पशु की बिक्री पर एक हजार रुपये फीस किसानों से ली जाएगी और ज्यादा राशि पर यह फीस कुल कीमत की 4 प्रतिशत होगी। इसमें से एक प्रतिशत फीस विक्रेता और तीन प्रतिशत फीस खरीददार देगा। इसके अलावा मेले में पशुओं को लेकर आने वाले वाहनों से 100 रुपये पार्किंग शुल्क भी वसूला जाएगा और जो भी व्यक्ति मेले में आएगा उससे भी एक निश्चित प्रवेश शुल्क लिया जाएगा।
फीस में बदलाव
पहले मेले में पंजीकरण की फीस 10 रुपये थी जिसको बढ़ाकर 100 रुपये प्रति पशु कर दिया गया था। पशु बेचने पर 50 रुपये फीस थी जिसको अब न्यूनतम 1000 रुपये व अधिकतम पशु की कीमत का 4 प्रतिशत कर दिया गया है। नए नियमों के अनुसार 24 माह से ज्यादा उम्र के गाय, भैंस, ऊंट, गधे, घोड़ों व खच्चर पर न्यूनतम फीस 1000 रुपये, 6 माह से 24 माह तक के पशुओं पर 300 रुपये फीस लागू होगी जबकि 6 माह से छोटे पशुओं पर कोई फीस लागू नहीं होगी।
निजी एजेंसी के अधिकार व कर्तव्य
- बोलीदाता प्रतिदिन, साप्ताहिक, पाक्षिक आधार पर मेलों का आयोजन कर सकता है।
- जहां पर पशु मेला लगाने के लिए जमीन नहीं होगी उसकी व्यवस्था बोलीदाता स्वयं करेगा और इसके लिए बीडीपीओ उसकी मदद करेगा।
- बोलीदाता पशुपालन विभाग को सूचित करेगा और विभाग के वेटरनरी चिकित्सक, अन्य चिकित्सक व कर्मचारियों की सेवा लेगा।
- मेले में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे जिसकी रिकॉर्डिंग 7 दिन में विभाग को देनी होगी।