कुरुक्षेत्र (हप्र) :
अपने कर्तव्य का दृढ़ता से पालन करना ही धर्म है, भागवत गीता में धर्म शब्द मजहब के लिए नहीं बल्कि मानवता के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है। धर्म के कारण कोई झगड़े नहीं होते बल्कि धर्म तो इंसान को इंसान बनकर जीना सिखाता है। यह प्रवचन गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने दिए। वे वृंदावन स्थित श्रीकृष्ण कृपा आश्रम में कुरुक्षेत्र से वृन्दावन पहुंची प्रेस क्लब की सांस्कृतिक अध्ययन यात्रा में शामिल सदस्यों को भागवत गीता की वाणी से निहाल कर रहे थे। धर्म की व्याख्या करते हुए स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने बताया कि मनुष्य जीवन में मूल्य व आदर्श सब धर्म से ही सीखता है। गीता में सभी प्राणियों के प्रति समान भाव है। अब मूल्यों पर आधारित जीवन बहुत कम नजर आता है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि हम आपस मे एक-दूसरे की भावनाओं का आदर करें। इंसान को हमेशा यह ज्ञात होना चाहिए कि एक इंसान दूसरे इंसान की सहायता के लिए है न कि एक दूसरे की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने बताया कि ‘जीओ गीता की ओर’ से जल्द ही गीता में डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जाएगा। इसके लिए एक बैठक कर प्रारूप तैयार किया जाएगा।