नयी दिल्ली, 11 जुलाई (एजेंसी)
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के उत्तर भारत के लिए मानसून के पूर्वानुमान के सही न होने के पीछे मॉडल्स द्वारा भेजे गए गलत सिग्नल, पूर्वी और पश्चिमी हवाओं के बीच संपर्क के नतीजों का अनुमान लगाने में मुश्किल आदि कुछ प्रमुख कारण हैं। विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र को गर्मी से राहत न मिलने पर इन वजहों की ओर इशारा किया है। दक्षिणपश्चिम मानसून देश के लगभग सभी हिस्सों में पहुंच गया है लेकिन उत्तर भारत में अभी तक उसने दस्तक नहीं दी है। दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों और पश्चिमी राजस्थान में अभी तक मानसून नहीं आया है। आईएमडी ने एक महीने पहले पूर्वानुमान जताया था कि मानसून जून तक इन हिस्सों में पहुंच जाएगा लेकिन उसकी भविष्यवाणी अभी तक सही साबित नहीं हुई है। आईएमडी ने 13 जून को अपने पूर्वानुमान में कहा था कि दक्षिणपश्चिम मानसून 15 जून तक दिल्ली पहुंच जाएगा। हालांकि इसके एक दिन बाद उसने कहा कि इस क्षेत्र में मानसून के आने के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं।
आईएमडी ने एक जुलाई को कहा कि 7 जुलाई तक मानसून के पहुंचने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो सकती हैं। बंगाल की खाड़ी से निचले स्तर पर नम पूर्वी हवाओं के 8 जुलाई से पूर्वी भारत के कई हिस्सों तक धीरे-धीरे आने की संभावना है। 5 जुलाई को आईएमडी ने फिर से कहा कि मानसून 10 जुलाई तक पंजाब और उत्तर हरियाणा के साथ उत्तरपश्चिमी भारत में आ सकता है। हालांकि 10 जुलाई तक भी कोई राहत मिलने के संकेत नहीं मिले। केरल में दक्षिणपश्चिम मानसून के पहुंचने के पूर्वानुमान पर आईएमडी ने कहा था कि यह 31 मई तक दक्षिणी राज्य में पहुंचेगा। 30 मई तक आईएमडी ने अपने दैनिक बुलेटिन में कहा कि केरल में 31 मई के आसपास मानसून के पहुंचने की संभावना है। हालांकि उसी दिन दोपहर को उसने अपने बुलेटिन को संशोधित करते हुए कहा कि तीन जून तक मानसून के पहुंचने की उम्मीद है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन ने कहा कि पूर्वानुमान मॉडल्स ने गलत सिग्नल दिए। राजीवन ने 35 साल तक दक्षिणपश्चिम मानसून का अध्ययन किया। उन्होंने कहा, ‘‘मॉडल्स ने मानसून में विराम और एक हफ्ते पहले इसके फिर से सक्रिय होने जैसी कुछ वृहद घटनाओं को अच्छे तरीके से पकड़ा। लेकिन जब केरल में मानसून या उत्तर भारत में बारिश जैसे स्थानीय पूर्वानुमानों की बात आती है तो इसमें कुछ दिक्कत है।’