ग्लासगो, 1 नवंबर (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन (सीओपी-26) में कहा कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए भारत कड़ी मेहनत कर रहा है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जो पेरिस घोषणापत्र की प्रतिबद्धताओं को ‘अक्षरश:’ पूरा कर रहा है। प्रधानमंत्री ने ‘लाइफ’ यानी ‘लाइफस्टाइल फॉर एन्वायर्नमेंट’ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) को वैश्विक मिशन बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष 2070 तक ‘नेट जीरो’ का लक्ष्य प्राप्त करने को लेकर प्रतिबद्ध है। वर्ष 2030 तक जीवाश्म ईंधन के उपयोग में देश उल्लेखनीय कमी लाएगा और एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन कम करेगा।
मोदी ने कहा, अब तक जलवायु वित्तपोषण के सभी वादे खाली ही रहे हैं, इसलिए विकसित देशों को यथाशीघ्र एक खरब डॉलर का जलवायु वित्त पोषण सुनिश्चित करना चाहिए। यह समय की मांग है कि उन देशों पर दबाव बनाया जाए, जो जलवायु मुद्दे पर वित्तपोषण के अपने वादे को पूरा करने में असफल रहे।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सहित अधिकतर विकासशील देशों के लिए जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती है, इससे खेती के तौर तरीकों में बदलाव आ रहा है, फसलें तबाह हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इस विषय को लेकर वैश्विक चर्चाओं में अनुकूलन को उतना महत्व नहीं दिया गया, जितना उसके प्रभावों को कम करने को दिया गया। उन्होंने इसे जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित विकासशील देशों के साथ ‘अन्याय’ करार दिया।
मिलेगी इंडिया ग्रीन गारंटी
भारत में हरित परियोजनाओं के लिए 75 करोड़ पाउंड की अतिरिक्त राशि के वास्ते ब्रिटेन विश्व बैंक को ‘इंडिया ग्रीन गारंटी’ प्रदान करेगा। यह घोषणा सोमवार को सीओपी26 शिखर सम्मेलन में की गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने मांगी माफी : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर करने के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के लिए ‘मैं माफी मांगता हूं।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका उत्सर्जन कम करने के लिए काम करेगा।