हरेंद्र रापड़िया/निस
सोनीपत, 2 अगस्त
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम अपने शुरुआत के कई मैच हारने के बाद बिखर सी गई थी, मगर मैंने टीम का हौसला बनाए रखने के लिए अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी। मैच से पहले टीम को एक मूवी दिखाई, जिसमें दर्शाया गया था कि हमें वर्तमान पलों को जीना है, वर्तमान पलों में रहकर मैच खेलना है। आगे-पीछे के बारे में सोच कर तनाव नहीं पालना। उनकी यह युक्ति कारगर साबित हुई और टीम ने आज के मैच में अपनी पूरी परफार्मेंस दी।
हॉकी इंडिया की पीआरओ नेहा रस्तोगी के माध्यम से दैनिक ट्रिब्यून मुख्य कोच शोर्ड मरिने तक पहुंचा तो उन्होंने इंग्लिश में यह सब बयां किया जिसका हिंदी रूपांतर कुछ यूं है। उन्होंने कहा कि टोक्यो आने से हम कम अभ्यास कर पाए। यही हमारे लिए बड़ा नुकसान था। कोरोना के कारण यूरोप और कई अन्य देशों ने भारतीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया हुआ था जिसके कारण कंपीटिशन और प्रेक्टिस मैच नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि शुरुआती मैचों में हार के बाद भारतीय टीम भारी दबाव में थी और एक तरह से बिखर सी गई थी। उन्होंने परिस्थितियों को भांपकर खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को अप करने के लिए मैच से पहले एक मूवी दिखाई। मूवी में वर्तमान पल में जीना सिखाया गया है। मुझे लगता है कि इस मूवी ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ बड़ा बदलाव दिखा। मैंने लड़कियों से कहा कि आज खुलकर खेलो। हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। बल्कि विपक्षी टीम पर दबाव है। जो टीम शीर्ष रैंकिंग की होती है उसके लिए मैच में जीत हासिल करना अधिक मायने रखता है। इस मैच ने साबित किया कि सपने सच होते हैं अगर आप खुद पर भरोसा रखते हैं। बस आपको सपने पूरे के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है और हमने आज ऐसा ही किया।
सविता पूनिया बनीं ‘द ग्रेट वॉल’
टोक्यो ओलिंपिक में पूर्व विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर भारतीय हॉकी महिला टीम की जीत का सेहरा गोलकीपर सविता पूनिया के सिर भी बंधता है। इस दमदार खिलाड़ी ने अपनी लंबी हाइट और फुर्ती की बदौलत 7 पेनल्टी कॉर्नर बचाकर ऑस्ट्रेलिया की टीम के हौसले पस्त कर दिए। तभी तो सविता पूनिया को -द ग्रेट वॉल- कहा जा रहा है, जो ऑस्ट्रेलिया की टीम के आगे ऐसे डटी कि जीतकर दम लिया।
(अनिल कुमार, हॉकी कोच एवं अंतर्राष्ट्रीय अंपायर)
जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी कम
सभी लड़कियों ने बिना किसी दबाव में आए जबरदस्त खेलते हुए इतिहास रच दिया। मैं किसी एक खिलाड़ी की तारीफ नहीं करती बल्कि पूरी टीम की जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है। मैच जीतते के बाद मेरी भारतीय टीम की सदस्य नेहा गोयल और शर्मिला से फोन पर बातचीत हुई तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मेरे द्वारा प्रशिक्षित कई लड़कियां इस ओलंपिक में शानदार खेल रही हैं। पूर्व विश्व चैंपियन आस्ट्रेलिया पर शानदार जीत के बाद मुझे लग रहा है कि मेरी भी वर्षों की मेहनत सफल हो गई।
(प्रीतम सिवाच, पूर्व कप्तान भारतीय महिला हॉकी टीम)
पापा हमारी टीम जीत गयी
पापा हमारी टीम जीत गई। पापा आज हमारी टीम ने शानदार खेल खेला। आज मैं अपनी परफॉर्मेंस से बेहद खुश हूं और टीम की परफॉर्मेंस से भी उतनी ही खुश हूं। सभी ने अपना 100 प्रतिशत दिया है। आज की जीत का श्रेय किसी एक को नहीं बल्कि पूरी टीम को जाता है। वह अलग बात है कि मैंने एक के बाद एक 7 पेनल्टी कॉर्नर बचाकर आस्ट्रेलिया का बेदम कर दिया। किसी दिन कोई खिलाड़ी अच्छा खेल जाता है तो अगले दिन दूसरा खिलाड़ी। यह सिलसिला चलता रहता है। मगर आज की जीत पूरी टीम के अच्छे खेल की बदौलत मिली है। पापा देख लेना हम अगले मैच भी जीतेंगे।
(टोक्यो से भारतीय महिला हॉकी टीम की गोलकीपर सविता पूनिया ने अपने पिता महेंद्र पूनिया से फोन पर बातचीत में जैसा बताया)