चंडीगढ़, 18 दिसंबर (ट्रिन्यू)
इस बार वर्चुअल मिल्ट्री फेस्ट के चौथे संस्करण के पहले दिन चीन की वायु क्षमता पर व्यापक चर्चा हुई। इसे पूर्व वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने संचालित किया।
पूर्व वायु सेना प्रमुख ने वायु सेना को तोपखाने के समर्थन की भूमिका पर चर्चा करते एयरबेस से लड़ाकू विमानों की दूरी के बारे में बात की और कहा कि ईंधन को फिर से भरने के लिए उनके बेस पर विमानों की वापसी हर लड़ाई में महत्वपूर्ण है।
ताईवान के डॉ. मिंग-शिह शेन ने चीन की वायु क्षमताओं, सीमावर्ती क्षेत्रों में आने वाले नए हवाई अड्डों और कोविड-19 के कारण बड़े विमानों के निर्माण में देरी पर बात की। चीन की वायु सेना की आक्रामक और रक्षात्मक रणनीति और ड्रोन, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस की भूमिका भी उनकी चर्चा का हिस्सा थीं।
दो पुस्तकों के लेखक अर्जुन सुब्रमण्यम ने भारत और चीन के संदर्भ में वायुसेना के महत्व, विघटनकारी रणनीतियों और जमीनी शक्ति की भूमिका के साथ युद्ध का मुकाबला करने की प्रभावशीलता के बारे में बात की। कैप्टन रविंदर छतवाल ने भारत के खिलाफ युद्ध में चीन की सीमा, एयर फील्ड्स के समर्थन और ड्रोन, प्रीडेटर ड्रोन और यूएवी बनाने के क्षेत्र में नवाचार के बारे में बात की।
‘मशकोह : कारगिल ऐज़ आई सॉ इट’ पुस्तक के लेखक व 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान 17 जाट रेजिमेंट की कमान संभाल रहे ब्रिगेडियर उमेश सिंह बावा ने कहा कि इस पुस्तक को लिखने का मुख्य उद्देश्य कारगिल युद्ध के दौरान हुई गलतियाें को बताना था ताकि उन्हें दोहराया न जाए और इसके माध्यम से 17 जाट सैनिकों के बलिदान और बहादुरी के बारे में दुनिया को बताना है। मेजर जनरल अमरजीत सिंह ने भी पुस्तक पर चर्चा की।