मनमोहन गुप्ता मोनी
‘ढेला सेठ’ एल.आर. शर्मा का कहानी संग्रह है, जिसमें 12 कहानियां शामिल हैं। इसमें निहित हर कहानी किसी न किसी अनुभव की अभिव्यक्ति का माध्यम रही है, ऐसा लेखक का मानना है। कहानी की मौलिक भावना भी यही होती है कि यह जीवन से जुड़ी हो। किसी रोचक घटना का वर्णन हो जो सुनाने योग्य हो और पाठक को बांधकर रख सकने में समर्थ हो। यह बात सही है कि इस संग्रह की कहानियां रोचक हैं। उनमें कहीं टूटन नहीं है। पाठक के मन में संवेदना तो पैदा करती हैं, उन पर विचार करने को बाध्य करती हैं। कुछ कहानियां तो रेखा चित्र सरीखी दिखाई देती हैं।
‘मेरे गांव का आशुकवि’ में गंगाराम का चरित्र उसके काव्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। कहानी विकल्प का मुख्य पात्र मंगू दादा आजकल हमारे समाज में इधर-उधर दिखाई दे ही जाता है। भले ही भ्रष्टाचार ऐसे लोगों ने फैला रखा हो, लेकिन आम लोगों का काम ले-देकर करवाने में यह लोग उनके साथ खड़े रहते हैं। लोग भी ऐसे लोगों को ईश्वर की तरह पूजने लगते हैं।
‘ढेला सेठ’ कहानी रेखा चित्र-सी प्रतीत होती है। पंजाब और इसके साथ लगते इलाकों के रहन-सहन और वहां के लोगों की जीवनचर्या पर केंद्रित यह कहानी रोचक भी है और वास्तविक भी है। एल.आर. शर्मा के लेखन में एक खूबी यह जरूर है कि वह अपनी कहानियों के किरदार का पूरी तरह से वर्णन करते हैं। ‘एक जेब मैली सी’ में प्रताप परांठे वाले का पूरा विवरण बखूबी किया है। कहानी ‘जो बोये सो काटे’ में पुनर्जन्म रहस्य का एक कल्पना चित्र पेश किया गया है।
कहानी के पात्र हमारे इर्द-गिर्द बिखरे रहते हैं। ऐसे हल्के-फुल्के पात्रों को चुनकर एल.आर. शर्मा ने कई कहानियां लिखी हैं। कहानी ‘भूत भाग गया’ में प्लंबर उनका एक ऐसा पात्र है, जिसे उन्होंने बखूबी इस्तेमाल किया है। इसी कारण कहानी सहज बन पड़ी है। कुल मिलाकर यह सभी कहानियां पात्र प्रधान भी हैं और पढ़ने योग्य भी।
पुस्तक : ढेला सेठ लेखक : एल.आर. शर्मा प्रकाशक : नीरज बुक सेंटर, दिल्ली पृष्ठ : 143 मूल्य : रु. 395.