जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 7 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
पंजाब विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल (यूबीएस) में डीएसडब्ल्यू वूमेन प्रो. मीना शर्मा के बेटे के दाखिले को लेकर अभी भी विवाद थमा नहीं है। आरोप है कि प्रो. शर्मा का बेटा दाखिले के लिये योग्य नहीं था लेकिन फिर भी उसे एडमिशन दे दिया गया। पता चला है कि उसे 7.8 अंक दिये गये जबकि उसके अंक 7.43 ही बनते थे। अयोग्य होने के बावजूद उसका आवेदन स्वीकार कर लिया गया और दाखिला भी दे दिया गया। हालांकि इस संबंध में एक एडवोकेट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिले को चुनौती दी थी मगर जब याचिकाकर्ता से कोर्ट ने याचिका दायर करने की वजह पूछी तो केस विदड्रा कर लिया गया। इस मामले को लेकर एडमिशन कमेटी के 13 में से एक सदस्य ने दो बार लिखित में इस पर एतराज जताया और दाखिले को रिव्यू करने की मांग की लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पिछले कुछ दिनों के भीतर दो-तीन बार यूबीएस में दाखिले को लेकर सवाल उठाने वाले कुछ पोस्टर एसएफएस द्वारा लगाये जा रहे हैं। प्रो. मीना शर्मा ने पांच बजे के बाद विभाग में लगे इन पोस्टरों को उतार दिया।
वीसी को लिखित शिकायत, कोई कार्रवाई नहीं
एसएफएस सहित कई छात्र संगठनों ने इस बारे में कुलपति को लिखित शिकायत की थी मगर उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पोस्टर में साफ लिखा है कि अवैध दाखिले को रद्द किया जाये। साथ में कमेटी द्वारा की गयी कांट-छांट वाले दस्तावेज और कुलपति को एसएफएस द्वारा भेजी गयी शिकायत को भी पोस्टर के ऊपर चस्पा किया गया है। बताया तो ये भी जाता है कि इसी दाखिले की वजह से कैंपस के कई टीचर नाराज हैं।
दाखिले में कोई गड़बड़ी नहीं : प्रो. मीना
इस बीच डीएसडब्ल्यू प्रो. मीना शर्मा का कहना है कि दाखिले में कोई गड़बड़ी नहीं है। एनआरआई कोटे की 20 में से मात्र 2 सीटें ही भरी गयी हैं, जो पूरी तरह से नियमानुसार हैं। उन्होंने कहा कि विभाग की अंदरूनी राजनीति के चलते उनका और उनके बेटे का नाम घसीटा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कैट स्कोर के मुताबिक ही उनके बेटे को दाखिला मिला है और मामला कोर्ट में जाने के बाद अब खत्म भी हो चुका है, वहां से याचिका विदड्रा कर ली गयी है। उन्होंने सफाई दी कि वे एडमिशन कमेटी की मैंबर तो अवश्य हैं मगर जब एनआरआई कोटे के दाखिले हो रहे थे, उसमें वे हिस्सा नहीं थी, उन्होंने पहले ही कमेटी को बता दिया था।
यह है मामला
एमबीए में दाखिला कैट स्कोर के आधार पर होता है, जिसमें तीन पार्ट हैं। एक में गणित, दूसरे में अंग्रेजी और तीसरे में डेटा यानी क्वांटेटिव एप्टीट्यूड शामिल रहता है। गर्वित शर्मा को एडमिशन देने के लिये वर्बल एप्टीट्यूड में (वीएआरसी) कथित तौर पर हेराफेरी के आरोप हैं। गर्वित के दो जगहों पर डेटा (क्यूए) और अंग्रेजी (डीआईएलआर) में तो 10 में से 10 अंक हैं लेकिन एक वर्बल में उन्हें जो स्कोर दिया गया, उसमें 10 फीसदी यानी 7.8 अंक होने चाहिए थे मगर क्वालीफिकेशन के उनके अंक 7.43 ही बनते थे।