नयी दिल्ली, 26 अगस्त (एजेंसी)
नागर विमानन मंत्रालय ने देश में ड्रोन परिचालन के नियमों को आसान बनाते हुए इसके लिए भरे जाने वाले आवश्यक प्रपत्रों की संख्या 25 से घटाकर पांच और परिचालक से लिए जाने वाले शुल्क के प्रकारों की संख्या 72 से घटाकर चार कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर कहा कि नए ड्रोन नियम भारत में इस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण की शुरुआत करते हैं। उन्होंने कहा, “ये नियम विश्वास और स्व-प्रमाणन पर आधारित हैं। स्वीकृतियां, अनुपालन आवश्यकताओं और प्रविष्टि संबंधी बाधाओं को काफी कम कर दिया गया है।’ ड्रोन नियम, 2021 बुधवार को जारी किए गए। इन नए नियमों ने मानवरहित विमान प्रणाली (यूएएस) नियम, 2021 का स्थान लिया है जो इस साल 12 मार्च को लागू हुआ था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नए नियमों से इस क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्ट-अप और युवाओं को काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “यह नवोन्मेष और व्यापार के लिए नई संभावनाएं खोलेगा। यह भारत को ड्रोन केंद्र बनाने के लिए नवोन्मेष, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में भारत की शक्ति का लाभ उठाने में मदद करेगा।” नए नियमों के अनुसार, शुल्क को नाममात्र के स्तर तक घटा दिया गया है और इसे ड्रोन के आकार से अलग कर दिया गया है। उदाहरण के लिए, सभी श्रेणियों के ड्रोन के रिमोट पायलट लाइसेंस के लिए शुल्क 3,000 रुपये (एक बड़े ड्रोन के लिए) को घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है और यह 10 साल के लिए वैध रहेगा। नियमों ने विभिन्न मंजूरियों की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया है, जिनमें अनुरूपता का प्रमाणपत्र, रख-रखाव का प्रमाण पत्र, आयात मंजूरी, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, परिचालक परमिट, शोध एवं विकास संगठन की स्वीकृति और विद्यार्थी रिमोट पायलट लाइसेंस शामिल हैं।
ड्रोन नियम, 2021 के मुताबिक अन्य स्वीकृतियों जैसे विशिष्ट प्राधिकरण संख्या, विशिष्ट प्रोटोटाइप पहचान संख्या और विनिर्माण एवं उड़ान योग्यता प्रमाण-पत्र आदि को भी समाप्त कर दिया गया है। नए नियमों के अनुसार “ग्रीन जोन” में 400 फुट तक और हवाईअड्डे की परिधि से आठ से 12 किलोमीटर के बीच के क्षेत्र में 200 फुट तक ड्रोन उड़ाने की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। ‘ग्रीन ज़ोन’ का मतलब 400 फुट की लंबवत दूरी तक का हवाई क्षेत्र है जिसे हवाई क्षेत्र के नक्शे में रेड ज़ोन या येलो ज़ोन के रूप में नामित नहीं किया गया है। ड्रोन नियम, 2021 ने ड्रोन के हस्तांतरण एवं पंजीकरण को रद्द करने के लिए आसान प्रक्रिया भी निर्धारित की है।
नियमों में कहा गया है कि माइक्रो ड्रोन (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए) और नैनो ड्रोन के लिए किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। इसके साथ ही कहा गया है कि नियम उल्लंघन पर अधिकतम जुर्माना घटाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है। नियमों में यह भी कहा गया है कि भारत में पंजीकृत विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियों द्वारा ड्रोन परिचालन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विटर पर कहा कि नए ड्रोन नियम साजो-सामान और परिवहन क्षेत्र में एक क्रांति लाएंगे और कृषि, स्वास्थ्य सेवा तथा खनन जैसे क्षेत्रों में परिवर्तन की लहर पैदा करेंगे। उन्होंने कहा, “ये हमारे उद्यमों (स्टार्टअप) को एक मंच भी प्रदान करेंगे जो सामने से इस क्रांति का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं।”