नयी दिल्ली, 23 नवंबर (एजेंसी)
पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पुस्तक के बाद कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी की पुस्तक को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस पुस्तक में वह 2008 के मुंबई आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया को लेकर तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की आलोचना करते दिख रहे हैं। तिवारी ने ‘10 फ्लैश प्वाइंट्स : 20 ईयर्स’ पुस्तक में लिखा है कि कई बार संयम कमजोरी की निशानी होती है और भारत को 26/11 हमले के बाद कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी।
कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह में शामिल तिवारी ने इस पुस्तक में पिछले 2 दशक के सुरक्षा हालात पर प्रकाश डाला है। मंगलवार को ट्विटर पर उन्होंने पुस्तक के कुछ अंश साझा किए, जिसमें लिखा है, ‘अगर किसी देश (पाकिस्तान) को निर्दोष लोगों के कत्लेआम का कोई खेद नहीं है तो संयम ताकत की पहचान नहीं है, बल्कि कमजोरी की निशानी है। ऐसे मौके आते हैं जब शब्दों से ज्यादा कार्रवाई दिखनी चाहिए। 26/11 एक ऐसा ही मौका था।’
निकम्मी थी सरकार : भाजपा
भाजपा ने तिवारी की पुस्तक को लेकर कहा िक संप्रग सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखा। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, ‘आज स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस की सरकार निठल्ली और निकम्मी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे पर भारत की अखंडता की भी उसे चिंता नहीं थी।’ भाटिया ने सोनिया और राहुल गांधी से चुप्पी तोड़ने की मांग करते हुए सवाल उठाया कि उस समय भारतीय सेना को अनुमति क्यों नहीं दी गयी।
तिवारी का पलटवार : तिवारी ने पलटवार करते हुए ट्वीट किया, ‘304 पृष्ठों की किताब से एक उद्धरण पर भाजपा की प्रतिक्रिया पर मुझे हंसी आती है। मुझे हैरानी होगी अगर भाजपा अपने शासनकाल के समय राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति से निपटने के संदर्भ में किए गए ‘कड़े विश्लेषण’ पर भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दे।’
कांग्रेस ने कहा- किताब आने दीजिये : कांग्रेस ने पुस्तक पर टिप्पणी से इनकार किया। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा बोले, ‘पहले किताब आए, हम और आप पढ़ेंगे। फिर देखते हैं कि चर्चा करनी है या नहीं… उस किताब या किसी अन्य बात से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आम लोग आज महंगाई के कारण कितना संघर्ष कर रहे हैं। हमारा धर्म है कि हम इन लोगों की आवाज उठाएं।’