चंडीगढ़, 17 दिसम्बर (एजेंसी)
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने सिख संत राम सिंह की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए, इसे एक ‘अपूरणीय क्षति’ करार दिया। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। केन्द्र के नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का समर्थन कर रहे संत राम सिंह (65) ने बुधवार को सिंघू बॉर्डर के पास कथित तौर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस के मुताबिक, सिंह ने कथित रूप से पंजाबी में हस्तलिखित एक पत्र भी छोड़ा है, जिसमें लिखा है कि वह ”किसानों का दर्द” सहन नहीं कर पा रहे हैं। पुलिस उस पत्र की जांच कर रही है।
संत राम सिंह का शव बुधवार रात करनाल जिले के सिंघरा गांव के नानकसर गुरुद्वारा ले जाया गया, जहां भारी संख्या में उनके समर्थक इकट्ठे हुए। हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि संत राम सिंह एक महान व्यक्ति थे, जिन्होंने अपना जीवन मानव सेवा को समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा, ‘पवित्र आत्मा होने के कारण, वह किसान विरोधी कानून के खिलाफ ठंड में पिछले कई दिनों से दिन-रात सड़कों पर रह रहे किसानों का दुख देख बेहद दुखी थे…. जिनमें (प्रदर्शन में) कई बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल हैं।’ कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी उनके निधन शोक जताया।
किसान नेताओं ने संत बाबा राम सिंह को दी श्रद्धांजलि
नोएडा : नए कृषि कानूनों के विरोध में 17 दिन से चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानु) के नेताओं ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर कथित रूप से आत्महत्या करने वाले संत बाबा राम सिंह को बृहस्पतिवार को श्रद्धांजलि दी। भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि संत बाबा राम सिंह ने केंद्र सरकार की गलतियों की वजह से आत्महत्या की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जब तक किसानों की मांगें नहीं मान लेती, तब तक वे धरना वापस नहीं लेंगे। भारतीय किसान यूनियन (भानु) के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह पांच दिन से भूख हड़ताल पर हैं और उनकी स्थिति खराब होने पर जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने धरना स्थल पर पहुंचकर उनकी जांच की। योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि 5 दिन तक चिल्ला बॉर्डर खुला रहा, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से किसान आयोग बनाने की कोई पहल नहीं की गई।