असीम यादव/हप्र
नारनौल, 21 नवंबर
जिले में निर्धारित मापदंडों की अवहेलना कर चलाये जा रहे स्टोन क्रशर मामले में एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आदेश दिया है कि सभी 72 स्टोन क्रशर जो पूर्व के आदेश पर बंद किए जा चुके हैं व जिनकी एनओसी रद्द की जा चुकी है, को पूर्णत: सील किया जाए। इसके साथ-साथ एनजीटी द्वारा 3 दिसंबर 2020 को वहन क्षमता, स्वास्थ्य जांच, पर्यावरणीय पहलुओं पर दिए गए जांच के आदेश की रिपॉर्ट में पर्यावरणीय वहन क्षमता अत्यधिक खराब पाई गई है।
दो अलग-अलग समय में मानसून से पहले व मानसून के बाद मापी जाने वाली वायु गुणवत्ता दर रिपोर्ट की स्थिति भी अत्यधिक खराब होने के चलते एनजीटी ने जिला प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि महेंद्रगढ़ जिले में प्रदूषण के हालात बद से बदतर हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि लोगों को यूं ही मरने के लिए छोड़ दिया गया है और स्टोन क्रशर संचालन के लिए न्यूनतम निर्धारित मापदंडों का पालन भी नहीं किया गया। इसी वजह से जिले का पर्यावरणीय संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया है। एनजीटी ने एक उच्चस्तरीय छह सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी का गठन करते हुए कहा है कि यह कमेटी जिला महेंद्रगढ़ के पर्यावरण व सभी अन्य पहलुओं की छानबीन करेगी। कमेटी में आईआईटी दिल्ली के वायु प्रदूषण मामले के विशेषज्ञ सदस्य, सीपीसीबी के सदस्य, एचसीपीसीबी के सदस्य, जिलाधीश महेंद्रगढ़, वन संरक्षक व हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक द्वारा नामित श्वास रोग विशेषज्ञ शामिल होंगे। कमेटी को अपनी रिपोर्ट 3 महीने में एनजीटी को सौंपनी होगी।
क्या है रिपोर्ट : रिपोर्ट में प्रशासन ने महेंद्रगढ़ जिले में स्टोन क्रशर के 18 समूह बताए हैं। प्रत्येक क्लेक्टर में लगभग आधा दर्जन से एक दर्जन स्टोन क्रशर हैं। प्रदूषण से महेंद्रगढ़ जिले की पर्यावरणीय वहन क्षमता निगेटिव पाई गई है। रिपोर्ट में हरियाणा प्रदूषण विभाग ने जवाब में कहा कि महेंद्रगढ़ जिले में किसी भी नये स्टोन क्रशर को एनओसी न दी जाए। रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है सिविल सर्जन का कहना है कि महेंद्रगढ़ जिले में प्रतिवर्ष वायु से उत्पन्न बीमारियों में 100 प्रतिशत का इजाफा हो रहा है, साथ ही वायु से उत्पन्न बीमारियों की वजह से महेंद्रगढ़ जिले में प्रतिवर्ष 40 से 42 हजार लोगों की जान जा रही है।
इन्होंने उठाया था मसला
स्टोन क्रशर से हो रहे पर्यावरण प्रदूषण व जन स्वास्थ्य की हानि के खिलाफ पर्यावरणविद व सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर तेजपाल यादव 3 साल पहले एनजीटी की शरण ली थी। जिसमें 24 जुलाई 2019 को जिले के 72 अवैध स्टोन क्रशरों को तुरंत बंद करने के आदेश हुए थे। उसके बाद स्टोन क्रशर संचालक इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। लेकिन 2 नवंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला वापस एनजीटी को सौंप दिया। जिस पर 3 दिसंबर 2020 को एनजीटी ने जिले के 72 अवैध स्टोन क्रशरों के बंद करने के आदेश दिए थे। इंजीनियर तेजपाल यादव ने कहा कि जिला प्रशासन का रवैया इस मुकदमे में बड़ा लचर व बेरूखा रहा है।