काबुल, 6 जुलाई (एजेंसी)
उत्तर अफगानिस्तान में तालिबान को मिलती जीत को देखते हुए कुछ देशों ने उस इलाके में स्थित अपने वाणिज्य दूतावासों को बंद कर दिया है, जबकि ताजिकिस्तान में आरक्षित सैनिकों को दक्षिणी सीमा पर सुरक्षा और चाक-चौबंद करने के लिये बुलाया जा रहा है। अधिकारियों से मिली जानकारी और खबरों के मुताबिक करीब 1000 अफगान सैनिक तालिबानों बलों के आगे बढ़ने के मद्देनजर सीमा पार कर ताजिकिस्तान भाग गए हैं।
ताजिकिस्तान सरकार द्वारा सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति इमोमाली रखमोन ने अफगानिस्तान से लगने वाली सीमा को और मजबूत करने के लिये 20 हजार आरक्षित सैनिकों को भेजने का आदेश दिया है। तालिबान के उत्तरपूर्वी बदखशां प्रांत के अधिकतर जिलों पर कब्जे के बाद अफगान सेना का यह पलायन सामने आया है। कई जिलों ने बिना किसी संघर्ष के हथियार डाल दिए, जबकि ताजिकिस्तान से लगने वाली प्रांत की उत्तरी सीमा पर अफगान नेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस फोर्सेज के सैकड़ों सैनिकों ने सुरक्षा के मद्देनजर सीमा पार की।
उत्तरी बल्ख प्रांत की राजधानी और अफगानिस्तान के चौथे सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ में तुर्की और रूस के वाणिज्य दूतावासों के बंद होने की खबर है। ईरान ने कहा कि उसने शहर में स्थित अपने वाणिज्य दूतावास में गतिविधियों को सीमित कर दिया है। बल्ख प्रांत से भी लड़ाई की खबर है लेकिन प्रांतीय राजधानी अपेक्षाकृत शांत है। बल्ख के गवर्नर के प्रवक्ता मुनीर फरहाद ने मंगलवार को कहा कि उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, भारत और पाकिस्तान के वाणिज्य दूतावासों ने अपनी सेवाएं कम कर दी हैं। तुर्की और रूस के कूटनीतिज्ञ तो शहर छोड़कर चले गए हैं। ताजिक सरकार ने कहा कि अफगान सैनिकों को मानवीय आधार पर सीमा पार करने की इजाजत दी गई। रूस ने भी सोमवार को घटनाक्रम पर चिंता जताई थी।