नरवाना, 3 अक्तूबर (अस)
आर्य समाज मंदिर में रविवार को यज्ञ हवन के उपरांत साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। पुरोहित मिथिलेश शास्त्री ने धर्म के मूल तत्व को कर्म के सिद्धांत के ऊपर सार्थक बताते हुए कहा कि परोपकार ही धर्म है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार श्रुति, स्मृति, सदाचार एवं आत्म अनुवर्ती व अनुशासन के अनुरूप कर्म ही धर्म है। जयपाल सिंह आर्य ने पराली को प्राकृतिक खाद एवं चारा, बिजली, गत्ता, कागज आदि के लिए प्रयोग करने की प्रेरणा दी। उन्होंने चेताया कि आग जलाने से उत्पन्न जहरीली गैसों के कारण आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत होती है। इसलिए पराली का सदुपयोग करना ही हितकारी है। धर्मपाल एवं मियां सिंह आर्य ने समाज एवं राष्ट्र उद्धार में ऋषि दयानंद के योगदान पर भजन प्रस्तुत किए। इस अवसर पर विजय कुमार, जोगीराम, सावन, नरेंद्र, संदीप, रामकुमार आर्य सहित कई लोग उपस्थित रहे।