नयी दिल्ली, 21 मई (एजेंसी)
मुक्केबाजी में भारत के पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच ओपी भारद्वाज का लंबी बीमारी और उम्र संबंधी परेशानियों के कारण शुक्रवार को निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। उनकी पत्नी संतोष का 10 दिन पहले ही बीमारी के कारण निधन हो गया था। भारद्वाज को 1985 में द्रोणाचार्य पुरस्कार शुरू किये जाने पर बालचंद्र भास्कर भागवत (कुश्ती) और ओ एम नांबियार (एथलेटिक्स) के साथ प्रशिक्षकों को दिये जाने वाले इस सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पूर्व मुक्केबाजी कोच और भारद्वाज के परिवार के करीबी मित्र टीएल गुप्ता ने बताया कि स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों के कारण वह पिछले कई दिनों से अस्वस्थ थे और अस्पताल में भर्ती थे। उम्र संबंधी परेशानियां भी थी और 10 दिन पहले अपनी पत्नी के निधन से भी उन्हें आघात पहुंचा था।
मुक्केबाजी खेल के ध्वजवाहक
भारद्वाज 1968 से 1989 तक भारतीय राष्ट्रीय मुक्केबाजी टीम के कोच थे। वह राष्ट्रीय चयनकर्ता भी रहे। उनके कोच रहते हुए भारतीय मुक्केबाजों ने एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और दक्षिण एशियाई खेलों में पदक जीते। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। सिंह ने कहा कि ओ पी भारद्वाज मुक्केबाजी खेल के ध्वजवाहक थे। एक कोच के रूप में उन्होंने मुक्केबाजों और प्रशिक्षकों की एक पीढ़ी को प्रेरित किया जबकि एक चयनकर्ता के रूप में उनका काम दूरदर्शी और अद्वितीय रहा। भारतीय मुक्केबाजी के अग्रज भारद्वाज राष्ट्रीय खेल संस्थान पटियाला के पहले मुख्य प्रशिक्षक थे।