कुरुक्षेत्र, 13 दिसंबर (हप्र)
गीता की मूल भाषा की अनदेखी के चलते हुए आज हरियाणा के कोने-कोने से आए हुए संस्कृत डिग्री धारक युवाओं ने गीतास्थली ज्योतिसर में एक दिन का धरना दिया। गीता जयंती पर करोड़ों रुपये का बजट खर्च करने वाली सरकार गीता की मूल भाषा के प्रति उदासीन बनी हुई है। गीता की मूल भाषा बचेगी तभी तो गीताज्ञान बचा रहेगा। गीता की मूल भाषा संस्कृत है। हजारों वर्षों से गीता को पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचाने वाली भाषा आज वर्तमान सरकार द्वारा वेंटिलेटर पर लगा दी गई है। संस्कृत भाषा को बचाने का एकमात्र साधन संस्कृत अध्ययन और अध्यापन है। वर्तमान सरकार संस्कृत अध्यापन के प्रति बिल्कुल उदासीन बनी हुई है। पिछले 6 वर्षों में पंजाबी भाषा की दो-दो भर्तियां पूरी करने वाली सरकार संस्कृत भाषा का एक भी अध्यापक ज्वाइन नहीं करवा पाई है। ब्राह्मण संगठनों ने कई बार आरोप लगाए हैं कि संस्कृत भाषा को ब्राह्मण बच्चे ज्यादा पढ़ते हैं इसलिए इसकी भर्ती नहीं हो रही है। सरकार के एक ब्राह्मण एमएलए ने तो कई बार वर्तमान सरकार को ब्राह्मण विरोधी व संस्कृत विरोधी सरकार कहकर कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है।
‘अदालत में सही पैरवी नहीं कर रही सरकार’
पीजीटी की इस लिस्ट में लगभग 400 बेटियों का भी सेलेक्शन हुआ है। इन बेटियों को धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर करने वाली सरकार का बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा भी फेल होता नजर आ रहा है। जब सरकार पुलिस की भर्ती को रात में ज्वाइन करवा सकती है फिर स्टे हटने के बावजूद पीजीटी संस्कृत को ज्वाइन क्यों नहीं करवाया गया? क्यों सरकार डबल बेंच में स्टे का इंतजार करती रही? सरकार कोर्ट में अच्छे से पैरवी क्यों नहीं कर रही है। कोर्ट की अगली तारीख 16 दिसंबर है, अगर इस तारीख पर भी सरकार अपनी पैरवी में ढील बरतती है तो संस्कृत समाज सभी सामाजिक संगठनों को साथ लेकर गीता जयन्ती पर सरकार का विरोध करेगा। अगर सरकार मुकद्दमे की सही पैरवी नहीं करती तो संस्कृत समाज गीता जयन्ती पर विरोध स्वरूप अपनी डिग्रियां जला देगा।