अम्बाला शहर, 5 जनवरी (हप्र)
नगर निगम अम्बाला के शांतिपूर्वक संपन्न हुए चुनाव के बाद अब चुने गए नव सदस्यों व मेयर को शपथ ग्रहण करने की इंतजार है। निर्वाचित होने के बाद बेशक प्रमाण पत्र भी रिटर्निंग आफिसर ने दे दिया हो लेकिन कोई भी सदस्य शपथ लेने के बाद ही वास्तव में सदन का सदस्य कहलाता है और उसके बाद ही आगे के काम काम प्रारंभ होते हैं। अब शपथ कब ग्रहण करवाई जाएगी और डिप्टी मेयरों के चुनाव की तारीख कब की घोषित होगी, सबका ध्यान उस ओर ही है। फिलहाल तो मेयर के बैठने के लिए किसी कमरे की रेनोवेशन भी शुरू नहीं हुई है।दरअसल सदस्यों द्वारा शपथ लेने के बाद ही निगम में वरिष्ठ उप मेयर और उप मेयर का चुनाव होना है। कालांतर में उप समितियां भी बनेंगी। फिलहाल तो सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पद को लेकर राजनीतिक गतिविधियां प्रारंभ हो चुकी हैं। सदन में किसी भी दल अथवा पक्ष को बहुमत हासिल नहीं होने के कारण या तो चुनाव के बाद का गठबंधन सामने आएगा या फिर बड़े पैमाने पर क्रास वोटिंग होगी। पहली बार प्रत्यक्ष रूप से हुए मेयर के चुनाव में हजपा की शक्ति रानी शर्मा नगर की प्रथम नागरिक होने का रुतबा हासिल कर चुकी हैं। शहर के 20 वार्डों में से 7 वार्डों में हजपा के सदस्य चुने गये हैं जबकि भाजपा के हिस्से 8 सदस्य आए। कांग्रेस के और एचडीएफ के 2 प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
किसी भी प्रस्ताव के लिए जरूरी है बहुमत
नगर निगम में कोई भी प्रस्ताव पारित करने के लिए न्यूनतम 11 पार्षदों की जरूरत होगी। जरूरत पडऩे पर 10 पार्षदों के साथ मेयर अपने मताधिकार का प्रयोग करके बहुमत जुटा सकती हैं। इसके लिए हजपा को अन्य 3 पार्षदों की जरूरत रहेगी। डिप्टी मेयरों के चुनाव में भी साधारण बहुमत की दरकार है जिसके लिए हजपा का पलड़ा फिलहाल भारी नजर आ रहा है। कांग्रेस और भाजपा एकजुट नहीं होने वाले, भाजपा और एचडीएफ एकजुट हो भी जाएं तो भी कुल संख्या 10 ही बनती है। एचडीएफ और कांग्रेस एकजुट हों तो संख्या मात्र 5 ही रहती है। यदि किसी आश्चर्य के चलते भाजपा और कांग्रेस एक होते हैं तो दोनों के सदस्यों की संख्या 11 हो सकती है जबकि हजपा के खिलाफ शेष विपक्ष के एकजुट होने पर यही संख्या 13 बन जाती है लेकिन यह तभी प्रभावी रहेगी जब क्रास वोटिंग नहीं हो।