केवल तिवारी
पौराणिक कथाओं के जानकार और उनकी विवेचना करने वाले देवदत्त पट्टनायक की नयी किताब ‘ज्ञान का भारतीय दृष्टिकोण-टैलेंट सूत्र’ बाजार में आई है। यह किताब इस मामले में अलहदा है कि पौराणिक कथाओं से निकलने वाले संदेश की व्याख्या तो इसमें की ही गयी है, साथ ही हर पाठ के अंत में एक काल्पनिक लघु कथा के जरिये उस विवेचना को समझाने की भी कोशिश की गयी है। साथ ही रेखाचित्रों के जरिये भी बात को स्पष्ट करने की कोशिश की गयी है।
किताब को यूं तो पांच भागों में बांटा गया है-टैलेंट सूत्र, अलगाव, चिंतन, विस्तार, समावेश-लेकिन, इनके अलावा अंत के दो भाग, निष्कर्ष और नोट्स भी बहुत कुछ सिखाते हैं। हर भाग में अनेक पौराणिक कथाएं हैं और उनका अर्थ है। कथा चाहे रामायण से संबंधित हो या फिर महाभारत से, पट्टनायक ने उनके अर्थ को आज के संदर्भ में समझाते हुए उसके गूढ़ चिंतन को प्रस्तुत किया है। लेखक समझाते हैं कि असल में महत्वपूर्ण क्या है। धन अर्जन यानी लक्ष्मी के पीछे परेशान हो जाना या फिर अनुभव एवं ज्ञान अर्जन यानी सरस्वती को समेटना। विभिन्न कथा सारों के हिसाब से उन्होंने समझाया कि अनुभव और ज्ञान की कोई सानी नहीं।
नयी पीढ़ी भले ही किताबी या डिग्री लेने संबंधी ज्ञान में पुरानों से आगे बढ़ जाये, लेकिन जीवन पथ पर असल सीख तो हमें अनुभव ही देता है। बेहद सरल और प्रवाहमयी शैली में लिखी गयी इस किताब का अनुवाद किया है नीलम भट्ट ने। यह किताब जहां कई पौराणिक कथाओं से हमारा परिचय कराती है, वहीं उनके वास्तविक ज्ञान को समझने के लिए भी सोचने पर मजबूर करती है।
पुस्तक : ज्ञान का भारतीय दृष्टिकोण – टैलेंट सूत्र लेखक : देवदत्त पट्टनायक, अनुवादक : नीलम भट्ट, प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस, भोपाल पृष्ठ : 141 मूल्य : रु. 250.