देहरादून/ऋषिकेश (एजेंसी) : कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि ने मंगलवार को चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर हरिद्वार महाकुंभ के आखिरी शाही स्नान के उल्लास को फीका कर दिया। वहां विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों ने हर की पौड़ी पर गंगा में डुबकी लगाई। कोरोना के चलते आखिरी शाही स्नान को प्रतीकात्मक रखा गया जो घाट पर एक दूसरे से दूरी बनाकर खड़े साधुओं को देखकर साफ नजर आ रहा था। हर की पौड़ी का मुख्य स्नान घाट शाही स्नान के कारण केवल अखाड़े के साधुओं के लिए आरक्षित था। हरिद्वार की जोनल अधिकारी (सूचना) सुनीता वर्मा ने बताया कि पहले जूना, अग्नि, आवाहन और किन्नर अखाड़ों के 600 साधुओं ने स्नान किया जिसके बाद निरंजनी और आनंद अखाड़ों के 70 साधुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। 14 अप्रैल को मेष संक्रांति और बैसाखी पर हुए पिछले शाही स्नान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साधु-संतों से मंगलवार के आखिरी शाही स्नान को प्रतीकात्मक रखने का आग्रह किया था, जिसे संतों ने स्वीकार कर लिया था। बाद में संवाददाताओं से बातचीत में मेलाधिकारी दीपक रावत ने साधु संतों का आभार जताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री की अपील के बाद शाही स्नान को सीमित रखा।