जगधरी, 17 नवंबर (निस)
दो दिन बाद छठ पूजा यानी सूर्य षष्ठी का पर्व है। कोरोना महामारी के चलते इस पर्व पर भी भीड़ नहीं जुटेगी। अधिकारियों का कहना है कि महामारी से बचाव करते हुए पर्व मनाया जाना चाहिए। दीपावली के बाद छठ पूजा का पर्व श्रद्धा एवं बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर व्रत रखकर महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु व सुख-समृद्धि की मंगल कामना के छठ मइया की पूजा करती हैं। छठ पर्व पर यमुना के घाटों पर दो दिन काफी भीड़ लगती हैं। यहां पर महिलाएं डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। यमुना नदी व यमुना नहर के अमादलपुर, दड़वा, बाड़ी माजरा, बूडिया आदि घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते कोई बड़ा आयोजन करने की अनुमति नहीं होगी। कोविड को लेकर जारी गाइड लाइन की सख्ती से पालना करनी होगी। घाटों पर भीड़ जमा न हो इसे लेकर प्रशासन हर जरूरी कदम उठाएगा। बता दें कि जिले में यूपी, बिहार आदि के हजारों ऐसे परिवार हैं जो छठ पूजा श्रद्धा एवं उत्साह से मनाते हैं।
कोई बड़ा आयोजन नहीं होगा : एसडीएम : एसडीएम जगाधरी दर्शन सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते मेले जैसा कोई आयोजन छठ पूजा पर नहीं होगा। उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण कपाल मोचन में लगने वाला प्रदेश स्तरीय मेला भी इस बार नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि छठ पूजा के लिए परिवार का एक सदस्य जा सकेगा।
ब्रह्मसरोवर पर 100 लोगों को पूजा-पाठ की अनुमति
कुरुक्षेत्र (हप्र) : उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़ ने कहा कि विभिन्न धार्मिक संस्थाओं जिनमें शिवनाथ मिश्रा अखिल भारतीय पूर्वांचल समाज सभा इन्द्रा कालोनी किरमच रोड कुुरुक्षेत्र, संतोष पासवान अध्यक्ष छठ पर्व सेवा समिति हरियाणा, प्रधान पूर्वांचल छठ पर्व सभा गांव ज्योतिसर नजदीक गीता कुंज आश्रम कुरुक्षेत्र द्वारा कुरुक्षेत्र में छठ पूजा के दौरान ब्रह्मसरोवर पर पूजा-पाठ करने के लिए अनुमति मांगी गई थी। उन्होंने मंगलवार को बातचीत करते हुए कहा कि उपमंडल अधिकारी नागरिक थानेसर द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार छठ पूजा के अवसर पर ब्रह्मसरोवर कुरुक्षेत्र में काफी संख्या में श्रद्धालुओं के आने के कारण कोरोना वायरस संक्रमण का पूरा अंदेशा बना रहेगा। इसलिए यह अनुमति प्रदान नहीं की गई थी। परंतु संस्थाओं द्वारा अनुरोध किया गया कि वह कोविड-19 के सभी नियमों की पालना करेंगे, इसलिए अधिकतम 100 व्यक्तियों को पूजा-पाठ करने की अनुमति दी जाए। संस्थाओं के अनुरोध के मद्देनजर ब्रह्मसरोवर के किनारे अधिकतम 100 व्यक्तियों को पूजा पाठ करने की अनुमति दी गई है। किसी भी प्रकार की अवहेलना पर सम्बन्धित संस्थाएं स्वयं जिम्मेवार होंगी।