भिवानी, 26 जुलाई (हप्र)
भारतीय सेना की वजह से ही आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं, इनको जितना सम्मान दिया जाए, उतना कम है। शहीद परिवारों का सम्मान सारे देश का सम्मान है। यह बात वैश्य महाविद्यालय एवं 11 हरियाणा एनसीसी द्वारा आयोजित कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम के अवसर पर महाविद्यालय के सेमिनार हाल में उपस्थित एनसीसी कैडेट्स को संबोधित करते हुए वैश्य महाविद्यालय ट्रस्ट के अध्यक्ष बाबू शिवरत्न गुप्ता एडवोकेट ने कही। उन्होंने कहा कि किसी भी सैनिक की देश के प्रति सच्ची देश भावना में उसके परिवार की अहम भुमिका होती हैं। समारोह में कारगिल युद्ध में शहीद परिवारों की 8 विरागंनाओं को सम्मानित किया गया।
इस मौके पर रक्तदान शिविर भी लगाया गया। इस मौके पर महाविद्यालय प्रबंध समिति के उप-प्रधान पवन कुमार, सुरेश कुमार गुप्ता, वैश्य महाविद्यालय प्रबंध समिति के महासचिव सुरेश कुमार गुप्ता, प्राचार्या डॉ. सुधा रानी, डॉ. संजय गोयल, रजनीश मेहता, एनके झा, एनसीसी अधिकारी अनिल कुमार तंवर, मनीष कुमार, पूर्व प्राचार्य एसएन शर्मा, बुद्धदेव आर्य उपस्थित रहे ।
युद्ध स्मारक पर लगाए पौधे
रोहतक (निस) : महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय स्थित राज्यस्तरीय युद्ध स्मारक पर कारगिल विजय दिवस के अवसर पर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पौधरोपण किया गया। इस अवसर पर उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि हमें सभी स्वतंत्रता सेनानियों एवं वीर सपूतों की कुर्बानी को हमेशा याद रखना चाहिए, जिसकी बदौलत आज हम खुली हवा में सांस ले रहे है।
रेवाड़ी में कैडेट्स ने निकाली रैली
रेवाड़ी (निस) : शहर के केएलपी कॉलेज की एनसीसी यूनिट द्वारा सोमवार को कारगिल विजय दिवस मनाया गया।
इस मौके पर मुख्यातिथि 8 हरियाणा बटालियन रेवाड़ी के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संजय राजन एवं विशिष्टातिथि एडम ऑफिसर कर्नल सुरेंद्र सिंह यादव ने कारगिल युद्ध के इतिहास को याद किया और कैडेट्स को इसके बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज में पौधरोपण से की गई। शहीदों की याद में रेजांगला युद्ध स्मारक तक रैली निकाली गई। केएलपी कॉलेज में लेफ्टिनेंट संजय कुमार प्राचार्य डा. अभय सिंह ने कैडेटों को कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के अदम्य साहस के बारे में बताया।
शहीद सुखबीर, जगदीश को किया नमन
गोहाना (निस) : कारगिल युद्ध के ऑपरेशन विजय की 22वीं वर्षगांठ पर रुखी गांव में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद सुखबीर सिंह मलिक और शहीद जगदीश चहल को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। श्रद्धांजलि समारोह आजाद हिंद देशभक्त मोर्चे की ओर से आयोजित किया गया। अध्यक्षता मोर्चे के संरक्षक आजाद सिंह दांगी ने की। उन्होंने कहा कि शहीद सुखबीर सिंह मलिक और शहीद जगदीश चहल ने मां भारती की संप्रभुता और स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी।
पौधरोपण कर मनाया कारगिल विजय दिवस
भिवानी (हप्र) : युवा कल्याण संगठन की ओर से शिमली मोड लेघा स्थित नितिन फिलिंग स्टेशन पर फलदार पौधे लगाकर कारगिल विजय दिवस मनाया गया। युवा कल्याण संगठन के संरक्षक कमल सिंह प्रधान ने कहा कि 22 साल पहले 3 मई 1999 से लेकर 26 जुलाई 1999 तक कारगिल युद्ध चला और भारतीय सेना ने कारगिल में पाकिस्तानी घुसपेठियों के छक्के छुड़ाकर विजय पताका फहराई।
इस अवसर पर युवा कल्याण संगठन के संरक्षक कमल सिंह प्रधान, प्रवक्ता अनिल शेषमा, जयप्रकाश तंवर, संजय जीतवानवास, प्रदीप राहड़, मनजीत यादव, सोनू तंवर, राजवीर चौहान, अपूर्व यादव मौजूद थे।
शहीदी दिवस के दिन ही याद आते हैं परिजन
चरखी दादरी (निस) शहीदों के आश्रितों का कहना है कि जो मान-सम्मान शहीदों के परिवारों को मिलना चाहिए वह नहीं मिला। सिर्फ शहीदी दिवस या अन्य शहीदों को लेकर होने वाले कार्यक्रमों में बुलाते हैं और भीड़ दिखाकर सहयोग देने का आश्वासन देकर भूल जाते हैं। शहीद हुए जवानों की पत्नियों को तो कुछ मिल गया, लेकिन माता-पिता को कुछ नहीं मिला। कारगिल के दौरान दादरी क्षेत्र के 5 जवान शहीद हुए थेे। शहीद आश्रितों का कहना है कि उन्हें सरकार की ओर से दी जाने वाले सुविधाएं ही नहीं मिली हैं। उनकी कोई सुध नहीं ली गई है। कारगिल में शहीद होने वाले जवानों में गांव बलकरा निवास वीर चक्र विजेता रणधीर सिंह, मौड़ी निवासी हवलदार राजबीर सिंह, रावलधी निवासी हवलदार राजकुमार, चरखी से सिपाही सुरेश कुमार, महराना से फौजी कुलदीप सिंह शामिल हैं। शहीद आश्रितों के अनुसार कारगिल युद्ध के दौरान हुए शहीदों के आश्रितों को मिलने वाली गैस एजेंसी, पेट्रोल पंप व परिवार में किसी को नौकरी देने जैसे कोई लाभ शहीद विधवाओं को तो मिल गई। बावजूद इसके माता-पिता को कुछ नहीं मिला। यहां तक कि शहीद विधवा उनके परिवार को छोड़कर चली गई हैं। पीछे माता-पिता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गांव महराना के शहीद कुलदीप सिंह के माता-पिता बेटे के गम में दुनिया छोड़ गए। भाई संदीप ने बताया कि माता-पिता को सम्मान दिलाने के लिए वे कई वर्षों से दफ्तरों के चक्कर लगाते रहे व आखिर में निराश होकर घर बैठ गए।