भिवानी, 26 अप्रैल (हप्र)
युवा कल्याण संगठन के संरक्षक कमल सिंह प्रधान ने तोशाम में धरने पर बैठे किसानों के स्वास्थ्य की जांच की। युवा कल्याण संगठन के पदाधिकारी ऑक्सीमीटर के द्वारा किसानों की जांच की और किसानों की थर्मल स्क्रीनिंग करते हुए उन्हें मास्क,सेनेटाइजर व दवाइयां वितरित की। संगठन के संरक्षक कमल सिंह प्रधान ने बताया कि 29 अप्रैल को प्रेमनगर मे किसान महापंचायत होगी जिसमें भिवानी और दादरी जिले की सभी खाप, सभी संगठन और किसान पहुंचेगें। इस महापंचायत को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शन पाल, राकेश टिकैत आदि नेता संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक तीन कृषि कानून रद्द नहीं किए जाते हैं तब तक किसान आंदोलन से नहीं हटेंगे और उनके संगठन द्वारा यूं ही किसानों की मदद की जाती रहेगी। इस अवसर पर दयानंद फौजी, प्रवक्ता अनिल शेषमा, मिंटू पंघाल, युद्धवीर, संदीप, रामकुमार टिबरेवाला, विकाश लाखलन, अजय नंबरदार, सत्यवान पंघाल,हरदीप टाला, हैप्पी पंघाल, आदि अनेकों युवा कल्याण संगठन के पदाधिकारी व किसान मौजूद थे।
‘कोरोना की आड़ में किसानों पर न साधा जाये निशाना’
केंद्र और हरियाणा सरकार कोरोना की आड़ में किसानों पर निशाना साधने से बाज आये। यह चेतावनी दादरी से निर्दलीय विधायक और खाप सांगवान 40 के प्रधान सोमबीर सांगवान ने कितलाना टोल पर चल रहे किसानों के अनिश्चितकालीन धरने को संबोधित करते हुए सरकार को दी। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद भाजपा के तमाम बड़े नेता विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों में बड़ी बड़ी रैलियों में भाषण दे लोगों में संक्रमण फैलने का न्यौता दे रहे थे और विडंबना है कि आज दोषारोपण किसानों पर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को बदनाम करने की साजिश रच रही है जो सहन नहीं होगी। विषम परिस्थितियों होने के बाद भी किसान अपने मोर्चे पर अडिग हैं। जब तक तीनों काले कानून रद्द होने के साथ एमएसपी की गारंटी नहीं मिलती किसानों का संघर्ष जारी रहेगा। खाप सांगवान 40 के सचिव नरसिंह डीपीई, बिजेंद्र बेरला, धर्मबीर समसपुर, मंगल सुई, रणधीर कुंगड़, हरबीर सांगवान, सुभाष यादव, प्रेम कितलाना, रतन्नी देवी, मास्टर राजसिंह ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि सरकार की हठधर्मिता छोड़कर अविलंब संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाना चाहिए ताकि बना हुआ गतिरोध टूट सके। उन्होंने कहा कि सरकार यूं ही जिद पर अड़ी रही तो किसान कठोर कदम उठाने पर विवश होंगे।