दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 16 नवंबर
यूथ कांग्रेस के चुनावी नतीजों के साथ ही हरियाणा कांग्रेस का सियासी पारा गरमा गया है। पिछले करीब साढ़े 7 साल से लंबित कांग्रेस संगठन के गठन को लेकर चल रही कवायद पर भी इसका असर हो सकता है। ब्लाॅक व जिला से लेकर प्रदेश स्तर पर पार्टी पदाधिकारियों का फैसला चुनावों से हो सकता है। इसमें प्रदेशाध्यक्ष का पद भी शामिल है। विपक्ष के नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस बाबत संकेत दिए हैं।
दरअसल, राज्य में कांग्रेस ने सदस्यता अभियान शुरू कर दिया है। पार्टी के सभी दिग्गज नेता अपने समर्थकों को अधिक से अधिक सदस्य बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके पीछे छिपी राजनीति साफ है, जिस नेता के पक्ष में अधिक सदस्य होंगे, उसके ही पदाधिकारी भी अधिक बनेंगे। बेशक, इससे पहले भी संगठनात्मक चुनाव करवाए जाने की कोशिश हो चुकी है, लेकिन आमतौर पर पदाधिकारियों का चयन सहमति से ही होता रहा है।
बकौल हुड्डा वे खुद भी चुनाव लड़कर प्रदेशाध्यक्ष बन चुके हैं। हुड्डा के पास 28 फरवरी, 1997 से 31 जुलाई, 2002 तक प्रदेश कांग्रेस की कमान रही। यूथ कांग्रेस के चुनाव में हुड्डा खेमे का पलड़ा भारी रहा है। यूथ कांग्रेस की तर्ज पर ही राज्य में कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव करवाए जाने की प्लानिंग हो रही है। वर्तमान में कुमारी सैलजा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हैं। वे 4 सितंबर, 2019 से इस पद पर हैं। प्रदेशाध्यक्ष का कार्यकाल 5 साल होता है। हालांकि, सदस्यता मुहिम शुरू होने की वजह से हुड्डा खेमा चुनाव करवाए जाने की कोशिश में है। वहीं, कांग्रेस हाईकमान में भी संगठन में पदाधिकारियों का चयन चुनावों के जरिये किए जाने को लेकर मंथन चल रहा है। ये कवायद सिरे चढ़ती है या नहीं, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि अगर बात चुनाव तक आई तो प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति बदली नजर आ सकती है।
सैलजा से पहले अशोक तंवर 14 फरवरी, 2014 से 4 सितंबर, 2019 तक कांग्रेस के प्रधान रहे। प्रधान बनने के कुछ दिनों बाद ही तंवर ने ब्लाॅक, जिला व प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया था। करीब साढ़े 5 साल के कार्यकाल में तंवर चाहकर भी संगठन का गठन नहीं कर सके। अलबत्ता वे कांग्रेस ही छोड़ गए। सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष बने 2 साल से अधिक का समय हो चुका है लेकिन वे भी संगठन का गठन नहीं करवा पाई हैं।
लंबित सूची आई तो अस्थाई होंगे पदाधिकारी : कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की संभावित सूची पार्टी हाईकमान में लंबित है। इस सूची को लेकर हुड्डा ने कहा, ‘अगर सूची आती भी है तो यह अस्थाई होगी। स्थाई पदाधिकारियों का फैसला चुनावों के बाद ही होगा।’ उन्होंने कहा कि सदस्यता अभियान शुरू हो चुका है, इसके बाद ही पदाधिकारियों का फैसला होगा। माना जा रहा है कि हुड्डा के इस बयान के बाद कांग्रेस में खलबली का माहौल बनेगा।