नयी दिल्ली, 9 मार्च (एजेंसी)
केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि तीन नये कृषि कानूनों का मकसद एक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान कर देश में कृषि मंडियों की दक्षता में सुधार लाना है, जिससे विपणन में तेजी आने के कारण अधिक निवेश होगा। उसने यह भी कहा कि इससे खेत के निकट भंडारण सुविधाओं सहित मूल्यवर्धित आधारभूत ढांचे को बढ़ावा मिलेगा एवं रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे। लोकसभा में सुमनलता अम्बरीश और नलिन कुमार कतील के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नये कृषि कानूनों में की गई व्यवस्था किसानों को उनकी उपज बेचने के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक चैनलों के माध्यम से लाभकारी कीमतों की सुविधा प्रदान करती है। ये कृषि कानून व्यापारियों, प्रसंस्करणकर्ताओं, निर्यातकों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि सहकारी समितियों द्वारा व्यापार क्षेत्र में किसानों से प्रत्यक्ष खरीद की सुविधा प्रदान करते हैं ताकि किसानों की आय बढ़ाने के लिये उन्हें बेहतर मूल्य की प्राप्ति हो सके।
राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप : हरसिमरत
प्रश्नकाल में अकाली दल की सदस्य हरसिमरत कौर बादल ने तीन नये कृषि कानून तथा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा किसानों से खरीद पर भूमि रिकार्ड संबंधी शर्तों का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार पर संघीय ढांचे और राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। हरसिमरत ने कहा कि सरकार कहती है कि उसने एक विकल्प (तीन कृषि कानूनों के जरिये) दिया है लेकिन विरोध में किसान धरने पर बैठे हुए हैं। ‘ जिस राज्य (पंजाब) में 40 प्रतिशत किसान भूमिहीन हों, वे कहां जायेंगे ? हमारे राज्य में एपीएमसी कानून में किसानों को अधिकार दिया गया है लेकिन केंद्र सरकार संघीय ढांचे और राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है।’