सोनीपत, 3 जनवरी (हप्र)
लगातार दो दिन से हो रही सुबह-सुबह की बरसात से हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच कुंडली बार्डर पर किसानों का संघर्ष जारी है।
बरसात और सर्दी के बीच भी किसानों का हौसला कमजोर नहीं हुआ है, बल्कि किसानों ने रातोंरात इसका तोड़ ढूंढ लिया और पराली से घरौंदे तैयार कर दिए। बारिश का इन पर असर न हो, इसके लिए तिरपाल लगायी गयी। अब यह पराली के वाटरप्रूफ घरौंदे किसानों का आशियाना बन गए हैं।
इसके लिए युवा किसानों ने रातभर आसपास के गांवों से पराली एकत्रित की। स्थानीय गांवों के ग्रामीण भी दिल खोल किसानों के साथ हो लिए और उनकी जरूरत का हर छोटा-बड़ा सामान उपलब्ध करा रहे हैं। इस बीच ठंड से रविवार को भी दो किसानों की मौत व एक किसान को हार्ट अटैक की घटना के बाद से धरनास्थल पर माहौल गमगीन रहा। मुख्य मंच से मृतक किसानों को श्रद्धांजलि दी गई। इसके अलावा सर्दी के बीच अपनों की चिंता में पंजाब से परिवारों का पहुंचना जारी है। छोटे बच्चों से लेकर महिलाएं व बुजुर्ग भी लगातार धरनास्थल पर पहुंच रहे हैं।
युवाओं ने बना दी घरनुमा झोंपड़ियां : लगातार सर्दी बढ़ने और दो दिन से बारिश के कारण किसानों के लिए बड़ी परेशानियां खड़ी हो रही हैं। ऐसे में जब तिरपाल व टैंट से काम नहीं चला, तो युवाओं ने रातभर में ही घरनुमा झोंपड़ियां बना डाली। खास बात यह है कि ये झोंपड़ी पूरी तरह से बल्लियों पर खड़ी की गई हैं। पराली आसपास के गांवों से एकत्रित की गई।
युवाओं ने बताया कि उन्होंने रात से ही झोंपड़ियों के निर्माण का काम शुरू कर दिया था। बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही थी। टैंट व तिरपालों से सर्दी नहीं जा रही थी। ऐसे में पराली का इस्तेमाल करने का आइडिया आया और अब वह लगातार झोंपड़ियों के निर्माण में लगे हैं।
गांवों से पहुंच रही लकड़ियां, उपले
सर्दी में बचाव के लिए अलाव जलाने के अलावा खाना पकाने के लिए अब किसान लकड़ियों व उपलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके लिए न केवल पंजाब से गाड़ियां भरकर लकड़ियां भेजी जा रही हैं, बल्कि सोनीपत सहित हरियाणा के अन्य जिलों से किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में लकड़ियां व उपले भरकर पहुंच रहे हैं। किसानों ने कदम कदम पर अलाव जलाए हैं। साथ खाना पकाने के लिए भी लकड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि अब वे गैस सिलैंडरों पर निर्भर नहीं है। देसी तरीके से ही सारे काम कर रहे हैं।
बलबीर सीचेवाल भी पहुंचे किसानों के बीच
पंजाब में पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर चुके और पदमश्री से सम्मानित संत बलबीर सिह सीचेवाल भी रविवार को किसानों को समर्थन देने के लिए कुंडली बार्डर पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि किसान देश के अन्नदाता हैं और उनकी मांग बेहद जायज है। ऐसे में सरकार को बिना देरी किए इनकी मांगों को मान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान की ऐसी दुर्दशा उन्होंने पहले कभी नहीं देखी। केवल सरकार जिद पकड़े बैठी है कि वह कानून रद्द नहीं करेगी। जबकि अवाम जो चाहता है, वही हर सरकार को करना चाहिए।