ज्ञान ठाकुर/निस
शिमला, 8 मार्च
हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार द्वारा लाए गए नए नगर निगम कानून के विरोध में आज विपक्षी दल कांग्रेस और माकपा के एक मात्र विधायक राकेश सिंघा ने सदन से वाकआउट किया। विपक्ष की मांग थी कि इस विधेयक को या तो सलेक्ट कमेटी के विचार के लिए भेजा जाए, या फिर इस पर विपक्ष के संशोधनों को मंजूर कर उन पर विचार किया जाए। हालांकि सरकार ने विपक्ष की दोनों ही मांगें नहीं मानी और बहुमत से इस विधेयक को पारित कर दिया।
प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार द्वारा आज पारित हिमाचल प्रदेश नगर निगम संशोधन विधेयक 2021 के पारित हो जाने के बाद अब प्रदेश के नगर निगमों में राजनीतिक दल अपने-अपने चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ सकेंगे। आज पारित इस नए कानून के मुताबिक अब नगर निगम में ओबीसी को भी महापौर पद पर आरक्षण मिलेगा, जबकि महापौर और उपमहापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए अब आधे के बजाय तीन-चौथाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है। आज पारित हिमाचल प्रदेश नगर निगम संशोधन विधेयक 2021 के मुताबिक दल-बदल कानून को भी कड़ा किया गया है। नए संशोधित कानून में अब नगर निगमों के डिफाल्टर नगर निगम का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
इससे पूर्व, इस संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के जगत सिंह नेगी ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि इसे बिना सोचे-समझे जल्दबाजी में लाया गया है। उन्होंने कहा कि महापौर और उपमहापौर के चुनाव के लिए राज्यसभा की पद्धति को अपनाया जाना चाहिए, अन्यथा क्रॉस वोटिंग का पता नहीं चल सकेगा।
इसी मुद्दे पर माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि इस विधेयक को मौजूदा स्वरूप में पास नहीं किया जाना चाहिए और इसे सलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस विधेयक को मौजूदा स्वरूप में पास करती है तो वह इसे अदालत में चुनौती देंगे। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने भी इस विधेयक पर विपक्षी सदस्यों को अपने संशोधन रखने का पूरा समय देने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने विधेयक में किए गए प्रावधानों का बचाव करते हुए कहा कि पहले वाले कानून में ओबीसी को महापौर पद पर आरक्षण नहीं था। नए कानून में इसका प्रावधान किया गया है। उन्होंने नए कानून में किए गए प्रावधानों का विस्तृत ब्यौरा दिया और कहा कि विपक्ष को इसका समर्थन करना चाहिए। बाद में विपक्ष के वॉकआउट के बीच सदन ने इस संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
आवारा पशुओं को आवारा छोड़ने वालों के खिलाफ बनेगा नया कानून : ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा है कि प्रदेश में पशुओं की टैगिंग का कार्य पूरा होने पर कानून में संशोधन किया जाएगा। इसमें पशुओं को सड़कों पर छोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी तक गाय के टैगिंग का कार्य 90 फीसदी पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पशुओं को सड़क पर छोड़ने पर पंचायतों को 500 रुपए से 700 रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन पंचायतें अपना कार्य नहीं कर रही हैं। कंवर आज विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक रमेश धवाला के सवाल का जवाब दे रहे थे।
नेता प्रतिपक्ष का सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा प्रदेश विधानसभा में पेश किया गया राज्य का 2021-22 का बजट प्रदेश सरकार के दिवालियेपन का जीता जागता उदाहरण है। उन्होंने कहा कि बजट से सब अहम मुद्दे गायब कर दिए गए हैं और गैप फंडिंग कहां से होगी, इसका कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि बजट में न तो प्रदेश पर कर्जों का जिक्र है और न ही कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए पैसे का प्रावधान किया गया है। अग्निहोत्री ने कहा कि बजट में काल्पनिक उड़ानें भरी गई हैं और कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश पर 61,567 करोड़ रुपए का कर्ज हो चुका है और इस साल के अंत तक यह बढ़कर 70 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक मौजूदा सरकार का कार्यकाल पूरा होगा, तब तक प्रदेश पर 85 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो चुका होगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बजट में आय के साथ संसाधन जुटाने का कोई जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि बजट से सबसे अधिक प्रदेश के सवा दो लाख कर्मचारी मायूस हुए हैं। न तो कर्मचारियों के लिए अनुबंध की समय सीमा घटाई गई और न ही नए वेतनमान के लिए बजट में कोई प्रबंध किया गया है।