बहादुरगढ़/झज्जर, 2 जनवरी (निस/हप्र)
टीकरी बार्डर पर चल रहा धरना शनिवार को 38वें दिन में प्रवेश कर गया, मगर अभी तक किसानों और सरकार के बीच सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में आंदोलनरत किसानों ने अपना आंदोलन और भी तेज कर दिया है। जैसे-जैसे आंदोलन लंबा खिंचता जा रहा है, प्रदर्शन के तौर तरीके भी बदलते जा रहे हैं। इस कड़ी में शनिवार को आंदोलनरत किसानों द्वारा ट्रैक्टर मार्च निकाला गया। भारतीय किसान यूनियन एकता उग्रहा ग्रुप द्वारा शनिवार को ट्रैक्टर मार्च का आह्वान किया गया था। इस मार्च में 700 से ज्यादा ट्रैक्टर शामिल रहे। बहादुरगढ़ बाइपास के पकौड़ा चौक पर आंदोलन स्थल से शुरू होकर किसान अपने ट्रैक्टर लेकर रोहद टोल पर पहुंचे थे। ट्रैक्टर मार्च ने रोहद टोल प्लाजा से दीनबंधु सर छोटूराम की जन्मभूमि गढ़ी सांपला की तरफ कूच किया। वहां से किसान झज्जर और रेवाड़ी के रास्ते होते हुए हरियाणा-राजस्थान सीमा पर स्थित शाहजहांपुर पर पहुंचेगे। ट्रैक्टर मार्च पूरी तरह अनुशासित तरीके से निकाला गया। ट्रैक्टरों के काफिले में शामिल किसानों के हाथों में शहीद भगत सिंह से लेकर मारे गये किसानों की तस्वीर दिखाई दी।
अनशन जारी
कृषि कानूनों के विरोध में हर रोज 11 किसान अनशन कर रहे है। शनिवार की सुबह हुई बूंदाबांदी से धरनारत किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जहां धरनास्थल के आसपास कीचड़ की समस्या उत्पन्न हो गई। इसके चलते किसानों ने एक दुकान के अंदर पर बैठकर अपना अनशन शुरू करना पड़ा।
कुंडली से शाहजहांपुर तक जाएगी ट्रैक्टर यात्रा
सोनीपत (हप्र) : चार जनवरी की सरकार के साथ प्रस्तावित वार्ता के बीच किसानों ने 6 जनवरी की ट्रैक्टर यात्रा को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। इसे लेकर जत्थेबंदियों की अलग-अलग बैठकें चल रही हैं। किसान तय कर रहे हैं कि कहां से कितने ट्रैक्टर लाए जा सकते हैं। किसानों का कहना है कि वार्ता में बचे हुए दोनों बिंदओं का समाधान नहीं होता है, तो फिर ये आंदोलन उग्र हो जाएगा। बार्डर पर जिस तरह से भीड़ बढ़ रही है और किसान जिस तरह से आंदोलन को अब तक चलाते आ रही हैं, वह शांत और संयमित है। लेकिन इस बार की वार्ता टूटी या अफसल रही, तो यह आंदोलन काबू करने में किसानों का भी संकट बढेगा। इस स्थिति को देखते हुए अभी से किसानों ने तैयारी शुरू कर दी है। किसानों का कहना है कि या तो पांच को वह घर लौटेंगे या फिर 6 को ट्रैक्टर यात्रा निकालेंगे।