हरेंद्र रापड़िया/निस
सोनीपत, 14 नवंबर
दुनियाभर में परचम लहराने वाले हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के पहलवानों का आज भी कोई जोड़ नहीं है। पिछले कई सालों का रिकार्ड उठाकर देखें तो मालूम पड़ता है कि विश्व चैंपियनशिप से लेकर ओलंपिक खेलों में अधिकांश पदक इस क्षेत्र से जुड़े पहलवानों ने ही जीते हैं। आलम यह है कि ओलंपिक या विश्व चैंपियनशिप में एक पदक आते ही इस क्षेत्र के कुश्ती अखाड़ों में गुर सीखने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो जाती है। जहां अभिभावक अपने बच्चों को नामी पहलवान बनाने का सपना देखकर अखाड़े में भेजना शुरू करता है, वहीं बच्चे भी नामचीन पहलवानों को फॉलो करते हुए कुश्ती में नाम कमाने का लक्ष्य लेकर अखाड़े में ताल ठोंकने लगते हैं। मगर दु:खद पहलू यह है कि हरियाणा की शान माने जाने वाले कुश्ती अखाड़ों में एक के बाद एक कई आपराधिक घटनाएं होने से उनकी छवि धूमिल हो रही है। कई मामलों में गुरु सम्मान कोच की इसमें संलिप्तता पाया जाना चिंता को बढ़ाता है।
खेल जगत से जुड़े लोगों की माने तो मौजूदा समय में सोनीपत, रोहतक, झज्जर व दिल्ली-एनसीआर में 250 से अधिक पंजीकृत व गैर पंजीकृत अखाड़ों में नामचीन पहलवानों के अलावा 6500 उदीयमान पहलवान कुश्ती के गुर सीख रहे हैं। मगर पिछले कुछ समय में अखाड़ों में हुई गोलीबारी की घटनाओं से यहां पर अभ्यास करने आने वाले नवोदित पहलवान व उनके अभिभावकों का विश्वास डगमगाया है।
हाल ही में सोनीपत के गांव हलालपुर स्थित सुशील कुश्ती अकादमी में कोच द्वारा अपने साथियों के साथ मिलकर अखाड़े की महिला पहलवान निशा व उसके भाई की गोलियां से भूनकर की गई हत्या के बाद एक बार फिर अखाड़े सवालों के घेरे में हैं। इस घटना के बाद खासकर महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों को चिंता में डाल दिया है। कुश्ती से जुड़े बड़े नाम भी इस तरह की घटनाओं से आहत हैं। उनका मानना है कि खेल में अपराध के लिए कोई जगह नहीं। अखाड़ों की छवि को बचाने और अभिभावकों का विश्वास जीतने के लिए कुछ ठोस करने का समय आ गया है।
गहन जांच पड़ताल के बाद ही मिले मान्यता
”प्रशासन को एक अभियान चलाकर अपराध के अड्डे बन चुके अखाड़ों को चिन्हित कर तुरंत बंद कराना चाहिए। सरकार व खेल विभाग से आग्रह है कि कोच की पूरी जांच पड़ताल होने के बाद ही अखाड़ा चलाने के लिए मान्यता दी जाए। हलालपुर कुश्ती अकादमी की घटना ने झकझोर कर रख दिया है। निशा 12वीं तक प्रताप मेमोरियल सीनियर सेंकेडरी स्कूल, खरखौदा की छात्रा थी। स्कूल की अकादमी से ही उसने अखाड़े में कदम रखा। 12वीं पास करने के बाद उसने पवन से कोचिंग शुरू कर दी। पहले भी अखाड़ों में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसी घटनाओं से समाज में अखाड़ों और उन्हें संचालित करने वालों की प्रतिष्ठा पर आंच आ रही है। मर्यादा व कड़े अनुशासन में रहकर अखाड़े चला रहे लोगों को ऐसी घटनाओं से बेहद ठेस पहुंचती हैं। लगातार हो रही ऐसी घटनाओं से अभिभावकों का विश्वास हिल जाता है। हमारी अभिभावकों के साथ-साथ समाज के प्रति भी जवाबदेही बनती है। हमने सारी जिंदगी इस खेल को संवारने में लगा दी और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग ऐसी घटनाओं को अंजाम देकर उन पर पानी फेर रहे हैं। ”
-ओमप्रकाश दहिया, कुश्ती कोच एवं द्रोणाचार्य अवार्डी
इन घटनाओं ने बढ़ाई चिंता
- मार्च, 2020 को झज्जर के अखाड़े में एक पहलवान की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
- अक्तूबर 2020 को रिटौली गांव के पहलवान शिव कुमार का शव कमरे में पड़ा मिला। इस संबंध में अखाड़ा संचालक पहलवान सुरेश समेत कई लोगों पर हत्या का मामला दर्ज हुआ था।
- 2021 में रोहतक क्षेत्र के अखाड़ों में अलग-अलग वारदातों में 8 पहलवानों की हत्याएं हो चुकी हैं।
- फरवरी, 2021 में जाट कालेज, रोहतक के अखाड़े में कोच सुखविंद्र पर मुख्य कोच मनोज मलिक, उनकी पत्नी साक्षी मलिक, उनके 4 साल के बेटे सरताज, कोच सतीश, कोच प्रदीप और मथुरा निवासी महिला पहलवान पूजा तोमर की गोली मारकर हत्या करने का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में अदालत आरोप भी तय कर चुकी है।
- फरवरी, 2021 में महिला भारत्तोलक का शव रोहतक के किलोई गांव के पास नहर की पटरी पर पड़ा मिला।
- मई, 2021 में वैश्य शिक्षण संस्था के मैदान में अभ्यास कर रहे युवा पहलवान अंकुश की गोली मार कर हत्या कर दी।
- मई 2021 में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में पहलवान सागर धनखड़ की हत्या कर दी गई। इस मामले में 2 बार के ओलंपियन सुशील कुमार जेल में हैं।
- नवंबर, 2021 को सोनीपत के गांव हलालपुर में सुशील कुश्ती अकादमी में महिला पहलवान निशा व उसके भाई की गोली मार कर हत्या कर दी। इस संबंध में इसी अकादमी के कोच मुख्य पवन कुमार, उसकी पत्नी, साले व साथियों को गिरफ्तार किया गया है।
विश्वास में नहीं आने देंगे कमी
”मैं पिछले करीब 10 साल से भारतीय महिला कुश्ती टीम से ज़ुड़ा हूं। हर अभिभावक अपने बच्चों को एक खास भरोसे पर हमारे पास भेजता है। ऐसे में एक कोच की जिम्मेदारी दोहरी हो जाती है। हलालपुर समेत अन्य कई अकादमियों में हुई घटनाओं से अखाड़ों की प्रतिष्ठा प्रभावित होने का खतरा मंडरा रहा है। अभिभावकों व खिलाड़ियों का विश्वास बहाल करने के लिए खेल व समाज से जुड़े प्रतिष्ठित लोगों को इकट्ठा करके एक खास अभियान चलाएंगे। इसके लिए हमें चाहे एक-एक अखाड़े में क्यों न जाना पड़े। अगर सोनीपत के गांव खानपुर कलां में करीब 9 दशक पहले 2-3 कन्याओं से शुरू किए गए गुरुकुल में कोई गैर जिम्मेदाराना हरकत हो जाती तो आज वहां महिला विश्वविद्यालय नहीं बनता। अगर ऐसी घटनाओं को नहीं रोका गया तो भविष्य में महिला पहलवान अभ्यास के लिए आने और अभिभावक भेजने से पहले कई बार सोचेंगे। हम जल्द ही अभियान चलाकर अखाड़ों में नैतिक शिक्षा पर भी जोर देंगे। Rs
-कुलदीप मलिक, मुख्य कोच भारतीय महिला कुश्ती टीम
मान्यता जरूरी करे सरकार
”मां-बाप अपने बच्चों को कोच के भरोसे अखाड़े में भेजते है। मगर आज अकादमी या कुश्ती अखाड़ों में हो रही आपराधिक घटनाओं से अभिभावकों का तो भरोसा टूट ही रहा है, साथ में समाज में भी गलत संदेश जा रहा है। कुश्ती को ऊचांइयों तक ले जाने के लिए जीवन भर संघर्ष करने वाले लोगों को ऐसी घटनाओं से काफी ठेस पहुंचती है। मेरा मानना है कि आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सबसे पहले अखाड़े या अकादमी चलाने के लिए सरकार से मान्यता अनिवार्य की जानी चाहिए। अवांछित लोगों को इस फील्ड में आने से रोकने के लिए अखाड़ा संचालक की पूरी पृष्टभूमि की वेरिफिकेशन बेहद जरूरी है। अगर सरकार चाहे तो अखाड़ों पर निगाह रखने के लिए सरकारी कोच को आसपास इलाके के कई अखाड़ों या अकादमी का अप्रत्यक्ष तौर पर जिम्मा सौंप सकती है। अगर वहां कुछ गलत लगे तो कोच की रिपोर्ट पर मान्यता को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। ”
-विनेश फौगाट,
अंतर्राष्ट्रीय महिला पहलवान कम नहीं होने देंगे सम्मान
”कुश्ती अखाड़े हरियाणा की शान हैं। इनके सम्मान को कम नहीं होने दिया जाएगा। हलालपुर की घटना सीधे-सीधे अपराध से जुड़ा मामला है, जिसमें पुलिस व कानून अपना काम कर रहा है। वहीं खेल विभाग कुश्ती के अलावा अन्य खेलों को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है और दिन-प्रतिदिन इसमें इजाफा हो रह है। ऐसी घटनाओं के बाद खेल विभाग अपने स्तर पर अखाड़ों के हालात पर नजर रखेगा। अखाड़ों में सुरक्षा के लिए जल्द ही नयी गाइडलाइन पर काम किया जाएगा। ”
-पंकज नैन, खेल निदेशक, हरियाणा