जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अंबाला शहर, 9 दिसंबर
नगर निगम द्वारा बसाए गए खतौली और कांवला डेरी काम्पलेक्स के प्लाटों की तहसील में रजिस्ट्री नहीं होने से प्लाट होल्डर तहसील, नगर निगम और जिला नगर योजनाकार के कार्यालय के बीच भटक रहे हैं। उधर, अधिकारी एक दूसरे पर ठीकरा फोड़कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
दरअसल डेरी काम्पलेक्स के खसरा नंबर सरकार के नए साफ्टवेयर हैरिस में धारा 7 एएचआरडीए 1975 के तहत अधिसूचित नंबरों में शामिल हैं जिनके लिए एनओसी जिला नगर योजनाकार कार्यालय द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है लेकिन यह विभाग कार्रवाई की जिम्मेदारी नगर निगम पर डाल रहा है। यहां तो नगर निगम द्वारा एनओसी जारी करके कन्वींस डीड भी करवाई जा रही है, इंतकाल भी मंजूर किए जा रहे हैं लेकिन रजिस्ट्री के लिए जरूरी अप्वाइंटमेंट ही नहीं मिल रहा। यह चंडीगढ़ से सीधे मिलता है। इस कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है जिसे दुरुस्त करने के लिए कोई संबंधित अधिकारी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा। 2001 की गणना के अनुसार बनाए गए थे 2 डेरी कांप्लेक्स शहर की आबादी के बीच संचालित दूध की सभी डेरियों को शहर से अलग शिफ्ट करने की योजना पर 2003 में कार्य प्रारंभ कर दिया गया था। तब 2001 की गणना के अनुसार शहर में 237 डेरियां संचालित हो रही थीं। इनको शहर से बाहर करने के लिए 2 डेरी काम्पलेक्स बनाए गए जिसमें से खतौली काम्पलेक्स में 148 प्लाट 280 रुपये प्रति वर्ग गज तथा कांवली में 69 विभिन्न प्रकार के प्लाट 540 रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से काट कर नो प्राफिट नो लॉस पर इन डेरी संचालकों को प्रशासन द्वारा उपलब्ध करवाए गए। इन डेरी काम्पलेक्स में 240 वर्ग गज से लेकर 538 वर्ग गज के प्लाट आवंटित किए गए।
परेशान हैं लोग
कांवली डेरी काम्पलेक्स संचालकों के प्रधान ऋषि पाल की मानें तो कुछ लोगों ने अपने प्लाट दूसरे पशु पालकों को बेच दिए हैं लेकिन नगर निगम द्वारा कन्वींस डीड करवा दिए जाने के बाद भी तहसील में प्लाटों की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही। इससे क्रेता और विक्रेता दोनों परेशानी की हालत में हैं, झगड़े बढ़ रहे हैं, सौदे टूट रहे हैं लेकिन जरा सी चूक को ठीक करने के लिए व्यवस्था तैयार ही नहीं है। ऐसे में कोई नया पशुपालक क्यों डेरी कांप्लेक्स में प्लाट लेगा।
”नए साफ्टवेयर में डेरी काम्पलेक्स के खसरा नंबरों को अधिसूचित नंबरों से मुक्त किए बिना डेरी काम्पलेक्स के प्लाटों की रजिस्ट्री संभव नहीं हैं। एप्वाइंटमेंट सीधा चंडीगढ़ से मिलना है, जब तक वह नहीं मिलेगा तहसील में कोई कार्रवाई बनती ही नहीं। हम अपने स्तर पर कोई संशोधन नहीं कर सकते। जिला नगर योजनाकार को फोन पर बात करने के अलावा लिखित रूप से भी कहा गया है लेकिन उन्होंने इस मामले में आगामी कार्रवाई नगर निगम द्वारा करने की बात कही है। इसके बाद नगर निगम आयुक्त भी डायरेक्टर लैंड रिकार्ड को पूरे विषय के बारे में लिख चुके हैं।”
-मनीष कुमार यादव, तहसीलदार, अम्बाला शहर