कैथल, 21 अक्तूबर (हप्र)
संस्कृत भारती हरियाणा ने मांग की है कि संस्कृत भाषा को नयी शिक्षा नीति में कक्षा तृतीय से बारहवीं तक अनिवार्य विषय बनाया जाए। साथ ही सभी माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में संस्कृत अध्यापकों टीजीटी और प्राध्यापकों पीजीटी के पदों पर शीघ्र नियुक्ति की जाये, 2012 से पूर्व नियुक्त संस्कृत अध्यापकों को नियुक्ति तिथि से पद नाम व संपूर्ण लाभ दिया जाए। इस बारे में एसोसिएशन ने उपायुक्त प्रदीप दहिया को ज्ञापन दिया है। जिला प्रधान रतन लाल शास्त्री, संस्कृत अध्यापक कमलेश शर्मा, बलवान शास्त्री, अश्विनी हृतवाल ने कहा कि हरियाणा राज्य में गुरुकुल में अध्ययन कर रहे छात्र-छात्राओं के संरक्षण व संवर्धन की उचित योजना अपेक्षित है। वर्ष 2017 में संस्कृत अध्यापकों व प्राध्यापकों की नियुक्ति से संबंधित जो नियम परिवर्तित किए गए थे, उनको वर्ष 2012 से ही मान्य माना जाए। संस्कृत महाविद्यालयों तथा गुरुकुलों से प्राप्त उपाधियों को यूजीसी के नियमानुसार विशारद, शास्त्री, शिक्षा शास्त्री व ओटी को बीएड तथा आचार्य को एमए के समकक्ष किया जाए।