सोनीपत, 1 जनवरी (हप्र)
तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात… किसान आंदोलन में ऐसा ही हो रहा है। किसानों के आंदोलन को जनता की नजर में कमजोर करने के लिए सरकार, जहां रोजाना नये प्रचार के तरीके अपना रही है, वहीं किसानों ने बीड़ा उठाया है कि वे हर बात का जवाब संवाद से करेंगे। अब सरकार ने यूपी व हरियाणा समेत कई राज्यों में पटवारियों का जिम्मा लगाया है कि वह हर गांव से ऐसे 10 लोगों की सूची दें, जो भाजपा विचारधारा का समर्थन करते हों, जिससे ऐसे ग्रामीणों के जरिये सरकार कानूनों के फायदा लोगों को बता सके। इधर, सरकार के इस नये पैंतरे का तोड़ किसानों ने निकालते हुए आंदोलन को दिल्ली की सीमाओं के साथ-साथ दूसरे राज्यों में फैलाने की तैयारी कर ली है। कृषि कानूनों के समर्थन में जिस तरह से अभियान शुरू किया गया था, उससे किसानों में नाराजगी बढ़ी और सरकार का रुख देखकर आंदोलन को दोबारा से तेज किया गया। किसानों के तेवर तल्ख देखकर सरकार ने कृषि कानूनों के समर्थन में शुरू किए अपने अभियान को धीमा कर दिया और किसानों से बातचीत के लिए
प्रयास शुरू कर दिए। इस बीच, किसानों और सरकार के बीच बातचीत की राह बंद हो गई थी, वहीं अब दोबारा से बातचीत शुरू हुई है। इस बार बातचीत के सकारात्मक परिणाम भी निकले हैं, लेकिन इस बीच सरकार ने नया अभियान शुरू कराया है। इसके तहत हरियाणा, यूपी समेत भाजपा की सरकार वाले राज्यों में सरकारी कर्मियों को गांव-गांव में भेजा जा रहा है। इनमें पटवारी को सबसे ज्यादा जिम्मेदारी दी गई है। पटवारी गांवों में जाकर भाजपा समर्थित 10 लोगों की सूची हर गांव से तैयार करते हैं और उनको अपने गांव के लोगों को कृषि कानून के फायदे बताते हुए जागरूक करने के लिए कहा जा रहा है। यह अभियान काफी गांवों में शुरू हो गया है। किसानों को कानूनों के अच्छे पहलुओं के बारे मंे बताया जा रहा है।
मध्य प्रदेश पहुंचे किसान नेता
किसान नेताओं ने कृषि कानूनों के विरोध में किसानों को जागरूक करने के लिए अलग-अलग राज्यों में जाने का अभियान शुरू कर दिया है। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल, शिवकुमार कक्का, अभिमन्यु कुहाड़, आईटी हेड बलजीत सिंह समेत अन्य नेता मध्य प्रदेश पहुंचे और वहां कृषि कानूनों के नुकसान को बताने के साथ ही किसानों से आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा शामिल होने की अपील की। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल का कहना है कि जिस दिन से कृषि कानून बनाए गए थे, उसी दिन से
पंजाब के किसानों ने उनके बारे में पूरी जानकारी जुटाकर विरोध शुरू कर दिया था। यह जरूर हो सकता है कि पंजाब के किसानों ने आंदोलन को शुरू किया, अब यह पूरे देश का आंदोलन बन चुका है। सरकार ने दो नए कानून बनाए हैं और एक में संशोधन किया गया है। अब आंदोलन हुआ तो सरकार यह भ्रम फैला रही है कि कृषि कानून से किसानों को फायदा है।