नवीन पांचाल/हप्र
गुरुग्राम, 24 अप्रैल
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मेडिकल हब में नाम से प्रसिद्ध गुरुग्राम के अस्पतालों में इन दिनों मरीजों के लिए बेड खाली नहीं हैं। प्रशासन की ओर से कोरोना मरीजों के इलाज के लिए चिन्हित 41 अस्पतालों में बेड खाली नहीं हैं। सड़कों पर दौड़ती एंबुलेंस के सायरन दिनभर गूंजते रहते हैं। जिन 2 श्मशान स्थलों पर कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है वहां लंबी वेटिंग चल रही है। हालात संभालने के लिए 6 से अधिक आईएएस अधिकारियों की ड्यूटी लगा रखी है लेकिन दावों के कई दिनों बाद भी व्यवस्था बेकाबू है।
वहीं इस सिलसिले में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से माेबाइल फोन पर संपर्क करने के काफी प्रयास किये गये, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
यहां 10 से अधिक ऐसे अस्पताल हैं जहां विदेशों से भी लोग इलाज करवाने आते हैं। इन अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए 60 प्रतिशत तक बेड आरक्षित करने के निर्देश दे रखे हैं। प्रशासन की ओर से जिन 41 अस्पतालों को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए चिन्हित किया गया है, वे अभी तक इन आदेशों की पालना नहीं कर पाए हैं। बीते एक सप्ताह से रोज गुरुग्राम में संक्रमण के औसतन 3 हजार से मामले सामने आ रहे हैं। डीसी डा. यश गर्ग ने सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ वीड़ियो कॉन्फ्रेसिंग में माना कि नए संक्रमितों में से 200 से 300 लोगों को रोज बेड की जरूरत होती है। वह बताते हैं, ‘कई अस्पतालों में बेड बढ़ाए जा रहे हैं। जल्द ही बेड की किल्लत दूर हो जाएगी।’
उनके अनुसार कॉरपोरेट कंपनियों के सहयोग से ऑक्सीजन सुविधा युक्त बेड की संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए 7 कम्युनिटी सेंटर की पहचान भी की गई है। प्रशासनिक दावों के विपरीत हालात भयावह हैं। दिनभर सड़कों पर दौड़ती एंबुलेंस के सायरन भी इस बात का आभास कराते हैं कि ‘सबकुछ’ ठीक नहीं चल रहा। गुरुग्राम में 35 निजी एंबुलेंस आॅपरेटर काम करते हैं। इनके बेड़े में 200 के करीब एंबुलेंस हैं। इसके अलावा अस्पतालों, निजी कंपनियों, स्कूलों व दूसरे संस्थानों की कुल मिलाकर 750 एंबुलेंस रजिस्टर्ड हैं।
प्रशासन की ओर से उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के अनुसार,‘पहले गुरुग्राम को 22 टन लिक्विड मेडिकल आॅक्सीजन की जरूरत होती थी लेकिन बढ़ी हुई मांग के बाद अब 31 टन आॅक्सीजन की आपूर्ति हो रही है।’
स्वास्थ्य विभाग के एक सूत्र का कहना है,‘निजी अस्पताल तो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी स्थिति बताकर आॅक्सीजन व दूसरी जरूरतों को उच्च स्तर तक पहुंचा देते हैं लेकिन सरकारी अस्पतालों के हालातों पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा।’ सूत्र की मानें तो वर्तमान समय में यहां की जरूरत को देखते हुए 50 टन लिक्विड मेडिकल आॅक्सीजन की प्रतिदिन जरूरत है।
ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं : अतिरिक्त मुख्य सचिव
अकेले मदनपुरी स्थित श्मशान घाट में शनिवार को 35 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया गया। ऐसे ही हालात सेक्टर 32 श्मशान घाट के भी हैं। कोविड के हालातों पर निगरानी के लिए सरकार की ओर से भेजे गए अतिरिक्त मुख्य सचिव टीसी गुप्ता का दावा है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है, केवल धरातल पर इसे मैनेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाए जाने का भी आश्वासन दिया।
‘दिन तो छोड़ो, एंबुलेंस के लिए रातभर बजते रहते हैं फोन’
प्राइवेट एंबुलेंस एसोसिएशन के सुरेंद्र तंवर का कहना है, ‘दिन की तो बात छोड़िये, रातभर एंबुलेंस मांगने वालों के फोन बजते रहते हैं। लेकिन न एंबुलेंस खाली है और न ही अस्पताल में बेड। ऐसे में हमें ज्यादातर फोनकर्ताओं को इंकार ही करना पड़ता है।’ वह कहते हैं हालात ये हैं कि एक अस्पताल से दूसर के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन मरीजों को कहीं एडमिट नहीं किया जा रहा।